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गणतंत्र दिवस के दिन मेरठ में उड़ेगी सोने की पतंग

मेरठ. गणतंत्र दिवस पर हर ओर देश में खुशियां ही खुशियां होती हैं लेकिन क्रांति की नगरी मेरठ में इस बार गणतंत्र दिवस खास तरीके से मनाने की पूरी तैयारी हो चुकी है. यहां इक्कीस लाख की खास पतंग तैयार की गई है. इक्कीस लाख की ये पतंग सोने से बनी है. ये पतंग उड़ाकर मेरठ में गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जाएगा. इस खास पतंग की कीमत जो भी सुन रहा है वो हैरान हो जा रहा है कि आखिर इसकी खासियात क्या है.

आपको बता दें कि मेरठ के सर्राफा व्यापारी ने 21 लाख रुपये की पतंग तैयार की है, जो सोने से बनी है. सर्राफा व्यापारी अंकुर ने News 18 को बताया कि रिपब्लिक डे के लिए ये विशेष पतंग तैयार की गई है. ये पतंग सोने से बनाई गई है. इस पतंग को सात कारीगरों ने 16 दिनों में तैयार किया है. इसकी खासियत है कि इस पर सोने की परत चढ़ी है. इसकी डोर और चरखी को भी सोने से ही बनाया गया है. इस बार 26 जनवरी को बसंत पंचमी भी मनाई जानी है. ऐसे में यह पर्व और भी ज्यादा खास हो गया है.

इधर गणतंत्र दिवस पर मेरठ के बने हुए तिरंगे भी अलग अलग राज्यों में फहरेंगे मेरठ के बने हुए तिरंगे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फहरते हैं. तिरंगे की भी निराली कहानी है. मेरठ में एक परिवार तो ऐसा है जो तीन पीढ़ियों से देश की आऩ बान शान झंडा बनाने में जुटा है. ये कहानी है उस परिवार की जिसने आज़ादी का पहला तिरंगा बनाया था. ये कहानी है 1925 में जन्मे मेरठ के सुभाष नगर निवासी नत्थे सिंह के परिवार की. नत्थे सिंह तो नहीं रहे लेकिन उनकी पीढ़ियां आज भी तिरंगा बनाकर इस मिट्टी का कर्ज़ उतार रहे हैं. कभी लालटेन में तिरंगा बनाने वाला नत्थे सिंह का परिवार आज भी एक छोटे से कमरे में तिरंगा बनाने में जुटा हुआ है. नत्थे सिंह के बेटे का कहना है कि आखिरी सांस तक तिरंगा ही बनाएंगे और तिरंगे में लिपटकर रुख्सत होंगे. यह माना जाता है कि देश में जब पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था, उसको भी मेरठ में ही सिलकर तैयार किया गया था. रमेश बताते हैं कि उनके पिता स्वर्गीय नत्थे सिंह ने बताया था कि जब राष्ट्रीय ध्वज फहराने की बात की गई तो सबसे बड़ी समस्या सामने आई थी कि कहां यह तिरंगा बनाया जाए. तब क्रांतिकारियों की एक विशेष टीम मेरठ आई थी. तिरंगे झंडे को 2 दिन में सील कर तैयार करने के लिए कहा गया था. तब रातों-रात बनाकर तिरंगे झंडे को टीम को सौंप दिया गया था. जिसके बाद वह टीम राष्ट्रीय ध्वज को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गई थी. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस तिरंगे को लाल किले से फहराया था. मेरठ में ये परिवार तो तिरंगा बना ही रहा है. यहां कई जगह आजकल सिर्फ तिरंगा ही बनाया जा रहा है. मेरठ की एक फैक्ट्री के मज़दूर भी तिरंगा बनाना अपनी शान समझते हैं. इनकी ज़ुबां पर एक ही नारा है. भारत माता का जयकारा है.

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