- चरमराई मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य सेवाएं
जौनपुर धारा, जौनपुर। उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय (मेडिकल कॉलेज) में शुक्रवार को सीनियर डॉक्टर और जूनियर डॉक्टर के एमबीबीएस के छात्र भी हड़ताल पर रहे। इस दौरान इलाज कराने आए मरीजों को लौटना पड़ा। दोपहर एक बजे जूनियर और सीनियर रेजिडेंट के साथ एमबीबीएस के छात्र भी मेन गेट पर प्रशासनिक भवन के मुख्य गेट के पर ‘सेव द सेवियर’ वी वांट जस्टिस के नारे के साथ दोषी को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने लगे। कुछ देर बाद चिकित्सक वहां से मार्च करते हुए मेडिकल कॉलेज के मेन गेट से होते हुए उत्तरी गेट तक गए।
डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए सभी विभागों की ओपीडी बंद हो गई। आंशिक रूप से ओपीडी चलती रही। प्रदर्शन के बाद कुछ समय के लिए ओपीडी चलती रही। लेकिन सुबह 9:30 बजे काउंटर से पर्ची लेने के बाद डॉक्टरों की न मौदुजगी में दूर-दराज से आए मरीजों को लौटना पड़ा। जूनियर डॉक्टरों और सीनियर रेजिडेंट का कहना है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तब तक प्रदर्शन चलता रहेगा। कोलकाला के मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या के विरोध में देश भर के डॉक्टरों में गहरा रोष है। डॉक्टरों के सभी संगठन जूनियर डॉक्टरों व एमबीबीएस छात्रों के इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। सोमवार को भी एमबीबीएस के छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया था। मंगलवार को जूनियर डॉक्टरों ने दोपहर से ही ओपीडी का बहिष्कार किया। करीब एक बजे डॉक्टरों का समूह प्रदर्शन करते कॉलेज के मेन गेट पर पहुंचा और वहां से उतरी गेट होते हुए प्रशानिक भवन तक गए।
हड़ताल से ओपीडी रह गई 100, नए मरीज नहीं दिखा पाए डॉक्टर को
सामान्य दिनों पर जहां ओपीडी 400 से 500 तक होती थी, वह हड़ताल के कारण सौ से डेढ़ सौ तक सिमट गई है। ओपीडी में डॉक्टर के होने से मरीजों को परेशान होना पड़ा। ऐसे में मरीज डॉक्टरों का इंतजार करते नजर आए। दो बजे ओपीडी खत्म हुई तो डॉक्टर वापिस अपने कमरे में गए।
ओपीडी हॉल में खाली रहीं कुर्सियां ओपीडी हॉल में रखी कुर्सियां जो सामान्य दिनों में भरी रहती हैं, उसमें मंगलवार को कई कुर्सियां खाली रहीं। हड़ताल से कुछ मरीज नहीं आए, वहीं जो आए उन्हें भी दिखाने में परेशानी हुई। कुछ मरीज बाद में आने की बात कहकर निराश लौट गए।अस्पताल में दोपहर एक बजे मेडिसिन, ईएनटी विभाग में ओपीडी का दरवाजा बंद रहा तो कार्डियोलॉजी विभाग में केवल एक कंसल्टेंट ने ही मरीजों को देखा।