Antarctica Ice Sinking: बढ़ते प्रदूषण के कारण पूरी दुनिया खतरे में पड़ती जा रही है. अब इसका असर आर्कटिक और अंटार्कटिका महाद्वीपों पर भी दिखाई देने लगा है. प्रदूषण और क्लाइमेट चेंज के कारण अब अंटार्कटिक का ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है. अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि अंटार्कटिका में बर्फ बड़ी तेजी से पिघल रही है. ये रिकॉर्ड निचले स्तर तक सिकुड़ सकती है.
सैटेलाइट डेटा के मुताबिक पिछले 45 सालों में यहां बहुत परिवर्तन देखा गया है. पिछले कुछ समय में इसके धंसने की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. द गार्जियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में 25 फरवरी को समुद्री बर्फ की मात्रा घटकर 1.92m वर्ग किमी रह गई. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह चौंकाने वाली गिरावट एक संकेत है कि जलवायु संकट इस बर्फीले क्षेत्र को अधिक गंभीरता से प्रभावित कर सकता है. ग्लोबल वॉर्मिंग इसका सबसे बड़ा कारण है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, बर्फ का लगातार और तेजी से धंसना काफी दिक्कतें पैदा कर सकता है. दुनियाभर के पर्यावरणविद अंटार्कटिका में तेजी से घट रही बर्फ को लेकर काफी चिंतित हैं. उन्होंने चिंता जाहिर की है कि इस सदी के अंत तक दुनिया के आधे से ज्यादा ग्लेशियर विलुप्त हो जाएंगे. इससे समुद्र का स्तर भी बढ़ सकता है. इस घटना से जमीन का एक बड़ा इलाका जलमग्न हो सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर में नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर (NSIDC) ने बताया, “21 फरवरी को अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ 1.79 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक गिर चुकी है. इसने 2022 में 1,36,000 वर्ग किलोमीटर के आंकड़े को भी पार कर दिया है.” एनएसआईडीसी के वैज्ञानिकों ने कहा, “शुरुआती आंकड़ा और भी पार हो सकता है क्योंकि मौसम के कारण बर्फ और भी पिघल सकती है. अंटार्कटिक समुद्री बर्फ विशेषज्ञ डॉ विल हॉब्स के हवाले से द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि समुद्री बर्फ में बहुत तेजी से बदलाव हो रहा है. हॉब्स ने कहा, “सूरज की रोशनी से पिघलना मुश्किल है. लेकिन अगर इसके पीछे खुला पानी मिलता है, तो यह बर्फ को नीचे से पिघला सकता है. बर्फ पिघलने से समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ जाएगा, जिससे कई इलाके डूब जाएंगे.