भारत-मालदीव में विवाद के बाद चीन का जासूसी जहाज जियांग यांग होंग-03 मालदीव पहुंच चुका है. बुधवार (7 फरवरी) को उसने मालदीव के स्पेशल इकनॉमिक जोन में प्रवेश किया जिसके बाद भारतीय नौसेना की नजरें चौकन्नी हो गई हैं. चीन इसे समुद्री अनुसंधान जहाज बताता है जो कि वैज्ञानिक सर्वे का काम करने का दावा करता है. हालांकि, भारत-अमेरिका समेत कई देशों का मानना है कि चीन इस तरह के जहाजों के जरिए हिंद महासागर में जासूसी गतिविधियों को अंजाम देता है. यही वजह है कि भारत ने पड़ोसी देशों में आकर रुकने वाले चीनी जहाजों को लेकर हर बार आपत्ति जताई है.
मालदीव की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जियांग यांग होंग-03 मालदीव विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में प्रवेश कर चुका है और उसके अंदर चक्कर लगा रहा है. जहाज मूल रूप से मंगलवार को मालदीव पहुंचने वाला था. शिपिंग ट्रैकिंग साइटों के अनुसार, जहाज को एक सप्ताह बाद माले शहर में डॉक किया जाएगा. 22 जनवरी के बाद से जहाज को नियमित ट्रैकिंग साइटों पर कहीं भी ट्रैक नहीं किया जा सका है. ऐसा माना जाता है कि इस चीनी जासूसी जहाज ने कुछ ट्रैकिंग सिस्टम बंद कर दिए हैं.
क्या है इस जहाज की खासियत?
चीन ने इस क्लास के 9 जहाजों का निर्माण किया है. लगभग 100 मीटर लंबे इस जहाज को 2016 में चीन के स्टेट ओशनिक एडमिनिस्ट्रेशन (एसओए) के बेड़े में शामिल किया गया था. यह वर्तमान में चीन में एकमात्र 4,500 टन का जहाज है. ये जहाज इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को भी ट्रैक कर सकते हैं. चीनी नौसेना की ओर से इस्तेमाल होने वाले इस जहाज को लेकर हमेशा जासूसी के आरोप लगाते रहे हैं.
श्रीलंका ने लगाई है रोक लेकिन मालदीव में है छूट
भारत के साथ द्विपक्षीय स्तर की वार्ता के बाद भारत की चिंता को समझते हुए श्रीलंका ने चीनी जासूसी जहाजों को जलीय सीमा में घुसने पर एक साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, चुनाव में “इंडिया आउट” का नारा देने वाले मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन समर्थक रहे हैं. ऐसे में चीन के जासूसी जहाज मालवीय में आसानी से आकर ठहर रहे हैं.