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पूर्वी लद्दाख में हालात स्थिर लेकिन अप्रत्याशित : आर्मी चीफ मनोज पांडे

भारत और चीन के बीच 30 महीने से भी ज्यादा वक्त से जारी गतिरोध के बीच आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में हालत स्थिर लेकिन अप्रत्याशित हैं. पीटीआई के मुताबिक एक कार्यक्रम में जनरल पांडे ने कहा कि भारत और चीन के बीच अगले दौर की सैन्य वार्ता में हम मुख्य रूप से डेमचोक और डेपसांग मसले का हल निकालने की कोशिश करेंगे. हम 17वें दौर की वार्ता की ओर आगे बढ़ रहे हैं. सेना प्रमुख ने कहा कि टकराव के सात में से पांच बिंदुओं पर मसलों को बातचीत के जरिए सुलझा लिया गया, लेकिन क्षेत्र में एलएसी पर चीनी सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है. हालांकि सर्दी बढ़ते ही सामूहि ट्रेनिंग पर आए कुछ पीएलए की वापसी के संकेत मिल रहे हैं. पीटीआई के मुताबिक जनरल पांडे ने एलएसी पर बहुत सावधानी से काम काम को जारी रखने की बात कही, ताकि भारत के हितों की रक्षा की जा सके. साथ ही हर तरह के संकटों से निपटने के लिए तैयार रहा जा सके. उन्होंने कहा कि अगर मुझे एक वाक्य में पूर्वी लद्दाख के हालात का (स्थिति) वर्णन करना है, तो मैं कहूंगा कि स्थिति स्थिर है लेकिन अप्रत्याशित है. जनरल पांडे ने बताया कि चीन एलएसी के पास बेरोकटोक बुनियादी ढांचों का विकास कर रहा है. वह हेलीपैड, हवाई क्षेत्र और सड़कों का निर्माण कर रहा है.  चीन ने जी 695 हाईवे का निर्माण किया है, जो एलएसी के समानांतर है. यह हाईवे न केवल सेना को आगे बढ़ने की क्षमता देगा बल्कि सेना को एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर तक भेजने में काफी मददगार साबित होगा.  न्यूज एजेंसी के मुताबिक आर्मी चीफ ने आगे कहा जहां तक ​​हमारी तैयारियों का संबंध है, वर्तमान में सर्दियों के मौसम के अनुकूल हमारी तैयारी जारी है लेकिन हमने यह सुनिश्चित किया है कि हमारे पास किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त बल और पर्याप्त भंडार है. सेना प्रमुख ने कहा, “लेकिन व्यापक संदर्भ में, हमें अपने हितों और संवेदनशीलता दोनों की रक्षा करने में सक्षम होने के लिए एलएसी पर अपनी एक्टिविटी को को बहुत सावधानी से करने की जरूरत है.

चीन कहता कुछ है, करता कुछ है…

एएनआई के मुताबिक, सेना प्रमुख ने कहा कि चीनी बोलते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं. इसलिए हमें चीन के कहे के बजाय उसकी हरकतों पर ध्यान देने की जरूरत हैं. उन्होंने कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि चीनी क्या कहते हैं और क्या करते हैं, यह काफी अलग है. यह उनके स्वभाव और चरित्र का भी एक हिस्सा है. हमें उनके ग्रंथों या लिपियों पर ध्यान देने के अलावा उनके कार्यों पर ध्यान देने की जरूरत है.

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