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Homeउत्तर प्रदेशपराली को बनाया रोजगार का साधन

पराली को बनाया रोजगार का साधन

पीलीभीत. पराली प्रबंधन प्रशासन के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. तमाम कवायदों के बाद भी पराली जलाए जाने की घटनाएं नहीं थम रही हैं. लेकिन पीलीभीत का एक किसान ऐसा भी है जिसने पराली मैनेजमेंट को ही कमाई का जरिया बना लिया है. किसान अपने साथ ही साथ दूसरों के खेतों से भी पराली को कलेक्ट कर रहा है.

दरअसल, पीलीभीत जिले के अमरिया इलाके में स्थित कुलहरा गांव के निवासी जगजीत सिंह के परिवार का प्रमुख पेशा खेती किसानी ही है. बीते सालों में सरकार की के से पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था . ऐसे में जगजीत सिंह ने इसके विकल्प तलाशने शुरू किया तो उन्हें बेलर मशीन की जानकारी हुई. तब जगजीत ने 18 लाख रुपए की मोटी रकम लगाकर इस मशीन को खरीदा था. तब शायद जगजीत को अंदाजा नहीं होगा कि उनका ये निवेश उनके खेत की पराली की समस्या हल करने के साथ ही उनकी कमाई का जरिया भी बन जाएगा.

बायोगैस प्लांट में करते है सप्लाई
कुछ दिनों में उनका संपर्क बदायूं में स्थित एक कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट से हुआ. जहां से उन्हें जानकारी मिली कि पराली उन्हें कमा कर भी से सकती है. जिसके बाद से जगजीत खुद के खेतों की पराली को प्लांट में सप्लाई करने लगे. जिस पराली को किसान वेस्ट समझ कर जला देते हैं. वर्तमान समय में जगजीत सिंह उस ही पराली से 340 रुपए प्रति क्विंटल कमाई कर रहे हैं.

पराली से बनाई जाती है बायोगैस
जगजीत सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से लगातार पराली प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक किया जाता है. ऐसे में वे बिना किसी तरह की फीस लिए अन्य किसानों के खेतों की पराली की कटाई करते हैं. हालांकि इसके एवज में वे पराली कलेक्ट कर लेते हैं. जिसके बाद वे उसे बदायूं स्थित CBG ( कंप्रेस्ड बायोगैस) प्लांट भेज देते हैं.

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