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जलजमाव से बचाने के लिए गांववासियों ने खुद करवाई नाली की खुदाई

जौनपुर। मछलीशहर विकास खण्ड के चितांव गांव के ग्रामीणों ने बिना किसी सरकारी सहायता के गांव के लोगों ने जलजमाव से निजात पाने के...
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Fireworks Factory and Warehouse : अब किस हादसे से सबक लेगा प्रशासन ?

  • आतीशबाजों ने शहर के बीचों-बीच बना रखा है गोदाम
  • पिछले कई घटनाओं से भी जिला प्रशासन ने नही लिया सबक

जौनपुर धारा, जौनपुर। दीपावली त्योहार नजदीक आ रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में पटाखों का कारोबार बड़े पैमाने पर शुरू हो गया। नियम-कानून को ताक पर रखकर कई घरों में अवैध पटाखा बनाने की फैक्ट्री व गोदाम चलाई जा रही है। नगर के कई घरों से भारी मात्रा में चोरी-छिपे पटाखों की खरीद बिक्री का कारोबार परिवार सहित आस-पड़ोस के लोगों के जीवन को खतरे में डालकर किया जा रहा है। घनी आबादी के बीच पटाखों से हुए हादसों को पुलिस प्रशासन ने कभी गम्भीरता से नही लिया। घटना के कुछ दिनों तक पुलिस भले ही सक्रियता दिखाती रही है, लेकिन समय बीतने के साथ सबकुछ फिर से पुराने ढर्रे पर ही चलने लगता है। नगर सहित जिले के कई अन्य इलाकों में पटाखा विस्फोट की बड़ी घटनाएं हुई है। लेकिन कभी भी किसी घटना से प्रशासन ने सबक लेने की कोशिश नहीं की। नतीजतन आज भी आबादी के बीच पटाखों का गोदाम चल रहा है, तो वहीं कुछ पटाखे वाले घनी आबादी के बीच दुकानें धड़ल्ले से चला रहें है। आबादी के बीच बनाए गए इन पटाखा गोदामों में कभी कोई हादसा हुआ तो स्थिति भयावह हो सकती है।

लेकिन जिम्मेदारों को अभी संभावित हादसों की फिक्र नहीं है। जौनपुर में पटाखा विस्फोट की कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुई है जिन्हे याद कर आज भी कलेजा कांप जाता है। पूरानी घटनाओं पर प्रकाश डाला जाय तो 8 जुलाई 2008 को शहर कोतवाली क्षेत्र के ओलन्दगंज उमरपुर मोहल्ले में संचालित पटाखे के गोदाम में विस्फोट हुआ था जो अभी तक की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक मानी जा रही है। विस्फोट से दो मंजिला मकान ढह गया था, जिसमें पटाखा कारोबारी राजेश विश्वकर्मा समेत परिवार के आठों सदस्यों की मौत हुई थी, दूसरी घटना एक साल बाद 16 नवंबर 2009 को मडियाहूं कोतवाली क्षेत्र के मिरदहा मोहल्ले में पटाखा बनाते समय विस्फोट हो गया था, इस घटना में लाल मोहम्मद उर्फ लल्ला, हारुन, एहसान की मौके पर ही मौत हो गई थी, यही नहीं मछलीशहर कोतवाली के सादीगंज दक्षिणी मोहल्ले में कूड़े के ढेर में 19 अप्रैल 2015 को विस्फोट हुआ था, जिसमें तीन बच्चों की मौत हो गई थी। इसी क्रम में बात अगर शहर की करें तो एक बड़ी 14 मई 2017 को शहर कोतवाली के कटघरा मोहल्ले में पटाखा रखे घर को गोदाम के रूप में सजाने वाले मकान में अचानक विस्फोट हो गया था, इस हादसे में नन्हकी (23)की मौत हो गई, जबकि नौसाबा (48)ने एक माह बाद उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। इन घटनाओं से अभी प्रशासन ने सबक ही नहीं लिया था कि साल 2021 में  मड़ियाहूं कोतवाली क्षेत्र के भंडरिया टोला मोहल्ले में हुए विस्फोट में 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। 14 घंटे बाद मलबा हटाने पर आकिब नाम के एक बच्चे का शव बरामद हुआ था। वहीं विस्फोट में घायल हुई गुड़िया ने भी मंगलवार को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। उस समय भी पुलिस विभाग की पर घार लापरवाही का लगा था मड़ियाहूं कोतवाली के 500 मीटर दायरे में ही अवैध पटाखा फैक्ट्री संचालित हो रही थी। इस बात की भनक मड़ियाहूं कोतवाली को नहीं थी। उसमें मामला यह सामने आया था कि पटाखा बेचने का लाइसेंसी मुश्ताक चोरी-छिपे अपने दो मंजिला घर में पटाखा बनाने की फैक्ट्री चला रहा था। अज्ञात कारणों से आग लगने के बाद काफी देर तक विस्फोट होने से मुश्ताक का घर ढह गया था। घटना के दौरान घायलों की श्रेणी में मुस्ताक (56) पुत्र बाबू मियां, कल्लू (38) पिता मुस्ताक, गुड़िया (28) पत्नी सोनू और परिवार के एजाज (13) समेत दो छोटे बच्चे शामिल थे। इस दौरान पटाखा कारोबारी की लापरवाहियों और अनदेखी फिर कोई हादसा न दोहराये इसके लिये जरूरी है कि नगर के चहारसू चौराहा, खोआमण्डी गली, शाहगंज पड़ाव सहित विभिन्न मोहल्लों व तहसील तथा ग्रामीण कस्बों में अवैध रूप से पटाखों का निर्माण व बिक्री थोक और फुटकर व्यवसाइयों शिकंजा कसा जाये। सुरक्षा को दरकिनार कर चल रहे इस धंधे से बड़ी घटना की संभावना हमेशा बनी रहती है। पटाखा की दुकानों व भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थो के गोदाम पूर्व की घटनाओं याद कर भी सीख नहीं ले रहें है। हालांकि अभी कुछ दिन पूर्व ही नगर मजिस्ट्रेट सहित सीओ सिटी ने कोतवाली पुलिस के साथ पटाखों के दुकानों पर छापेमारी कर कड़ी हिदायत दी थी कि पटाखों की बिक्री दुकानों से नहीं बल्कि निर्धारित स्थानों पर ही होगी। बावजूद इसके पटाखों के दुकानदार दुकानों में कम सामान रख घनी आबादी में घरों में गोदाम बनाकर बेच रहें हैं। सूत्रों की मानें तो चहारसू चौराहा से किला रोड़ पर ‘दि ताज स्टोर’ के नाम से आतिशबाजी के थोक व फूटकर विक्रेता तथा उसी से कुछ ही दूरी पर खोआ मण्डी नाम से प्रसिद्ध गली में एक पटाखों की दुकानों पर धड़ल्ले से पटाखों की बिक्री की जा रही है। हालांकि उन्होने दुकानों में तो कम माल रखा है लेकिन वहीं दुकान के करीब बड़े-बड़े गोदामों से खरीब बिक्री कर रहें है। बता दें कि ये दोनो दुकानदार नगर के उन बड़े पटाखा व्यवसाई में से एक है जिनव्ाâे यहाँ से पूरे जिले भर के लोग पटाखा ले जाते हैं और बेचते हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि प्रशासन की जाँच में कोई बड़ी कमी तो नहीं पाई जाती, लेकिन ये अन्य छोटे-बड़े दुकानदारों को माल वैâसे बेचते हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासन को जल्द से जल्द छापेमारी कर इन लोगों पर अंकुश लगाना होगा। क्योंकि ऐसे बड़े गोदाम घनी आबादी में चलना आस-पड़ोस के लोगों के लिये काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

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