सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर तक पंजाब सरकार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल भेजने के लिए समय दिया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की अवकाशकालीन पीठ ने इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए पंजाब सरकार को डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता देने के लिए निर्देश दिए. कोर्ट ने पंजाब सरकार की नाकामी पर नाराजगी व्यक्त की और सरकार से ये सुनिश्चित करने को कहा कि डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती किया जाए.
पंजाब सरकार ने अदालत को बताया कि वह डल्लेवाल को अस्पताल नहीं भेज पा रही है क्योंकि प्रदर्शनकारी किसानों ने उन्हें घेर रखा है और वे उन्हें अस्पताल जाने की अनुमति नहीं दे रहे. इस दौरान पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने कहा कि विशेषज्ञों की टीम ने डल्लेवाल को अस्पताल भेजने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इसे आंदोलन के उद्देश्य को कमजोर करने के रूप में नकार किया.
राज्य सरकार करें निर्देशों का पालन- कोर्ट
न्यायालय ने पंजाब सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जो किसान नेता डल्लेवाल को अस्पताल नहीं भेजने दे रहे हैं वे उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल अपने साथियों के दबाव में हैं और जो किसान नेता उनका विरोध कर रहे हैं वे उनके शुभचिंतक नहीं हैं. इसके साथ ही अदालत ने पंजाब सरकार को केंद्र से मदद लेने की अनुमति दी और उम्मीद जताई कि राज्य सरकार अपने निर्देशों का पालन करेगी.
डल्लेवाल की सुरक्षा को लेकर न्यायालय ने जताई चिंता
शुक्रवार (27 दिसंबर) को न्यायालय ने डल्लेवाल के जीवन और सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की थी. अदालत ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि वह डल्लेवाल को मेडिकल सुविधा देने करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए. इस मामले में अवमानना याचिका भी दायर की गई है जिसमें पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ नोटिस जारी किया गया.
आमरण अनशन से डल्लेवाल की हालत गंभीर
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन शुरू किया है जिसमें उनकी प्रमुख मांगें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और किसानों के बाकी मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार से दबाव बनाने की हैं. डल्लेवाल की स्थिति गंभीर होती जा रही है और अब अदालत की नजरें पंजाब सरकार की कार्रवाई पर हैं.