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हिम्मत को सलाम… कई काम में हुए फेल, फिर भी नहीं मानी हार

जीवन में कई मुसीबतें आती हैं, कोई इन मुसीबतों से हार जाता है तो कोई इनका सामना करके उनका मुकाबला करता है. इसी मुसीबत से हारने की बजाय, उनका डटकर मुकाबला करने वाले शख्स की उद्यमिता और संघर्ष की कहानी है संजय रावत की. जो कि जनपद प्रतापगढ़ के निवासी हैं, उन्होंने अपने व्यवसाय में मेहनत और आत्मनिर्भरता के साथ-साथ अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान करके उनके चेहरों पर मुस्कान बिखेरने का काम किया है. संजय रावत का व्यवसाय बांस से बने उत्पादों के निर्माण और बेचने में है. उनकी बिक्री अमेठी जिले के साथ-साथ लखनऊ, बनारस, दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, गुजरात आदि शहरों में होती है.

उन्होंने व्यवसाय की शुरुआत पतंग दुकान से की, जहां वह कुछ दिनों तक अपने किस्मत की आजमाइश की. बाद में उन्होंने फास्ट फूड की दुकान चलाने का प्रयास किया, लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिली. फिर वह गुजरात गए और वहां बांस की मैन्युफैक्चरिंग का काम सीखा. लौटकर आने के बाद भी उन्होंने बांस के बोतल, कटोरी, ग्लास, प्लेट, झूमर, कुर्सी, डलिया, पेन बॉक्स जैसे विभिन्न उत्पादों का निर्माण करना शुरू किया है. इसके परिणामस्वरूप, उन्हें अच्छे खासे मुनाफा हासिल हो रहा है और उनका उद्यम सफलता की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है.

बिना संघर्ष जीवन में  नहीं मिलती सफलता

उन्होंने कहा बिना संघर्ष के जीवन में सफलता नहीं मिलती. मेरे भी जीवन में कई बार संघर्ष हुआ है, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी. आज मैं खुद को सफल महसूस कर रहा हूं और मेरे व्यवसाय से न केवल मुझे बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार का अवसर मिल रहा है. संजय रावत की कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जीवन में आने वाली मुश्किलों से डरने की बजाय उनका सामना करना और उनका मुकाबला करना ही हमें सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है. यह कहानी हमें यह भी दिखाती है कि संघर्ष से गुजरना आवश्यक होता है और उससे हारने की बजाय हमें उसका मुकाबला करना चाहिए.

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