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Homeउत्तर प्रदेशसंजीवनी बूटी है 130 फीट का ये "शैतानी पेड़"!

संजीवनी बूटी है 130 फीट का ये “शैतानी पेड़”!

धरती पर हमारे आसपास ऐसी हजारों पेड़-पौधे मौजूद हैं, जिनका उनके औषधीय गुणों के कारण कई दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है. आयुर्वेद में ऐसे पेड़-पौधों का बहुत महत्व है. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की बात होती है, तो अक्सर तुलसी, आंवला, एलोवेरा की सबसे ज्यादा बात होती है. लेकिन ऐसी पौधे हैं जिनका कई बीमारियों के इलाज में दवा बनाने में यूज किया जाता है. ऐसा ही एक पौधा है सप्तपर्णी , जिसमें पोटेशियम, विटामिन समेत कई पोषक तत्वों का खजाना माना जाता है. ये हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है., जिसकी इसकी छाल, पत्तियां, बीज कई रोगों के उपचार में रामबाण औषधि साबित हुई है.

सप्तपर्णी वृक्ष 130 फीट तक बढ़ सकता है. यह एक जहरीला पेड़ है. इस पेड़ पर अक्टूबर के महीने में फूल खिलते हैं. इस पौधे के फूलों से रात के समय विशेष प्रकार की तेज खुशबू आती है इसीलिए ना केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में इस पेड़ को अशुभ और शैतान के निवास के रूप में जाना जाता है.सप्तपर्णी वृक्ष औषधीय गुणों की खान है हैं. इसकी छाल, पत्तियां, बीज का प्रयोग कई गंभीर रोगों को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसका पेड़ काफी बड़ा होता है. इसमें लंबी पत्तियां और सफेद फूल होते हैं. यह आपको पार्क व सड़क के किनारे आराम से मिल जाएगा. सप्तप्रण पौधे के बहुत सारे औषधीय गुण हैं. इसके इस्तेमाल से आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं.

शरीर को शीतलता प्रदान करता है सप्तपर्णी
आयुर्वेद के अनुसार सप्तपर्णी वृक्ष हमारी सेहत के लिए काफी लाभकारी माना गया है. यह कोलेस्ट्रॉल, वायरल फीवर, एलर्जी, हार्ट जैसी बीमारियों से छुटकारा दिलाता है. यह मलेरिया से जुड़े बुखार के साथ ही संक्रमण की वजह से होने वाले बुखार को भी कम करने में मदद करते हैं. सप्तपर्णी शरीर को शीतलता प्रदान करने में सहायक होता है.

इन बीमारियों में होता है इस्तेमाल
जिला अस्पताल बाराबंकी के चिकित्सक डॉ. अमित वर्मा (एमडी मेडिसिन) ने बताया कि सप्तपर्णी पौधे को आयुर्वेद में कई नाम से जाना जाता है जैसे सातवीण, सप्तपर्ण, छातिम, यक्षिणी वृक्ष, छितवन, व सतौना. अंग्रेजी में इसे डेविलट्री, डिताबार्क या शैतानवुड कहते हैं. ये हार्ट में जो ब्लड मसल्स होती हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल को रोकता है जिससे कोलेस्ट्रोल का पोषण कम हो जता है. जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाते हैं. इसके अलावा यह दुर्बलता कम करने, घाव ठीक करने, मलेरिया, नपुंसकता, पीलिया तथा कई अन्य प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सप्तपर्णी को प्रभावी औषधि माना जाता है. प्रसव के बाद माता को इसकी छाल का रस पिलाया जाता है, जिससे उसमे दूध बढ़ जाता है.

मलेरिया के इलाज में कारगर
डॉ. अमित वर्मा ने बताया कि पहले सांप काटने में इसका बहुत ज्यादा उपयोग एंटीडोट के रूप में किया जाता है. किसी को दस्त बहुत ज्यादा हो रहा है तो इसके छाल का अर्क निकालकर पिलाने से दस्त रुक जाता है. इसमें एंटी माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी मलेरिया गुण पाया जाता है जो मलेरिया के इलाज में कारगर साबित होता है. इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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