शक्ति प्रदर्शन में दिखी अजित पवार की दादागीरी

0
23

महाराष्ट्र में शरद और अजित पवार के लिए बुधवार का दिन बेहद अहम था. आज चाचा और भतीजे की सियासी शक्ति का लाइव परीक्षण हुआ. इसमें भतीजे अजित अपने चाचा पर भारी दिखे. सुबह शुरू हुआ ये शक्ति प्रदर्शन शाम को जाकर खत्म हुआ. दोनों की मीटिंग्स के बाद मामला चुनाव आयोग भी पहुंच गया. इतना ही नहीं अजित पवार गुट ने दावा कर दिया कि चाचा शरद नहीं बल्कि अजित ही अब NCP के अध्यक्ष हैं.

दूसरी तरफ शरद पवार ने अपनी मीटिंग खत्म होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. इसमें उनके तेवर कुछ नरम दिखे. वह बोले कि अजित को अगर कुछ दिक्कत थी तो वह बातचीत के जरिए मुद्दा सुलझा सकते थे. अब शरद पवार गुट ने गुरुवार को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. सबसे पहले बात करते हैं दोनों पक्षों की मीटिंग्स की. NCP किसकी… यह तय करने के लिए दोनों गुटों ने आज अलग अलग बैठक बुलाई थी. अजित पवार की बैठक में 31 विधायक और 4 एमएलसी पहुंचे. वहीं, वाई.बी. चव्हाण सेंटर में हुई शरद पवार गुट की मीटिंग में 13 विधायक और चार सांसद पहुंचे. एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं. ऐसे में 9 विधायक अब तक किसी गुट में शामिल नहीं हुए हैं. इस तरह नंबर गेम में अजित अपने चाचा शरद पर भारी दिख रहे हैं. हालांकि, दल बदल कानून से बचने के लिए उनको 35 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. अजित का दावा है कि उनके समर्थन में 40 विधायक हैं लेकिन सब मीटिंग में नहीं आ पाए थे. इस संख्या बल को लेकर दोनों गुटों की ओर से अलग अलग दावे किए जा रहे हैं, हालांकि इसे लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है. नंबर गेम में चाचा से आगे निकलकर अजित पवार संदेश देने में सफल रहे कि एनसीपी उनकी मुट्ठी में है. यानी जैसे 2019 में हुआ था, वैसा 2023 में नहीं होगा. बता दें कि 2019 में डिप्टी सीएम की शपथ लेने के बावजूद कुछ ही घंटों में अजित को इस्तीफा देकर देवेंद्र फडणवीस से गठबंधन तोड़ना पड़ा था.

शरद को रिटायरमेंट की सलाह

अजित पवार ने कहा कि शरद पवार की उम्र 83 साल हो गई है. ऐसे में शरद को रिटायर होकर अजित को आशीर्वाद देना चाहिए. ऐसा कहकर अजित ने दिखाया कि शरद पवार की राजनीतिक विरासत पर उनका हक हैं, सुप्रिया सुले का नहीं और NCP को नई सोच और नए दौर के नेताओं की जरूरत है. हालांकि, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने इसपर पलटवार किया. वह बोलीं कि ‘लोग कह रहे हैं कि कुछ लोग बूढ़े हो गए हैं इसलिए उनको सिर्फ आशीर्वाद देना चाहिए. रतन टाटा, अमिताभ बच्चन, वॉरन वफेट सब लोग बूढ़े हैं. फारूक अब्दुल्ला जो शरद पवार से तीन साल बड़े हैं वो भी बोल रहे हैं कि शरद को लड़ना चाहिए.’ सुप्रिया ने यह भी कहा कि मुझे या किसी को भी निशाना बनाएं, लेकिन मेरे पिता (शरद पवार) को नहीं.

‘पांच बार डिप्टी सीएम बना, लेकिन…’

अपने संबोधन में अजित पवार ने समर्थकों से यह भी कहा था कि मैंने पांच बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. यह अपने आप में रिकॉर्ड है. लेकिन गाड़ी वहीं रुकी रही. मुझे भी लगता रहा कि मुझे राज्य का प्रमुख होना चाहिए. मुझे कुछ चीजों को लागू करना था जिनके लिए प्रमुख (सीएम) बनना जरूरी है.

शरद पवार ने क्या कहा?

अजित पवार की बैठक खत्म होने के बाद शरद पावर ने अपने गुट वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. शरद पवार ने कहा कि अगर अजित किसी चीज से खुश नहीं थे तो बातचीत से रास्ता निकालना चाहिए था.

आगे पीएम मोदी का जिक्र करते हुए शरद पवार ने कहा कि मोदी ने मध्य प्रदेश में भाषण दिया और कहा कि NCP ने 70 हजार करोड़ का स्कैम किया है. फिर अगर NCP भ्रष्ट पार्टी है तो उसे सरकार में क्यों शामिल किया.

शरद पवार ने अपने संबोधन में कहा कि जो लोग बीजेपी के साथ गए उनका इतिहास याद करना चाहिए. जो भी बीजेपी के साथ गया बाद में वह बाहर हो गया. बीजेपी गठबंधन वाली पार्टी को बर्बाद कर देती है.

चुनाव आयोग पहुंचा मामला

NCP के नाम व निशान पर दावे को लेकर अजित और शरद पवार दोनों गुट चुनाव आयोग पहुंच गए हैं. पहले शरद पवार गुट ने अर्जी लगाई थी. इसमें कहा गया कि कोई भी एनसीपी पर अपने आधिपत्य का दावा आयोग के सामने करे तो आयोग शरद पवार पक्ष को भी जरूर सुने. इसके कुछ घंटों बाद अजित पवार गुट ने चालीस से अधिक विधायकों/सांसदों और MLC के शपथ पत्र के साथ पार्टी पर दावा ठोका.

दूसरी तरफ शरद पवार गुट ने आयोग से गुहार लगाई कि कोई भी अगर एनसीपी पर अपने अधिकार और नाम निशान पर दावा करे तो आयोग उनकी दलीलें भी सुने. पवार गुट ने पार्टी में बगावत कर दल बदल करने वाले अपने विधायकों की जानकारी भी आयोग को दी. आयोग को ये भी बताया गया है कि सत्ताधारी गठबंधन में मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले बागी विधायकों को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है.

यह सब ठीक वैसा ही हो रहा है जैसा पिछले साल शिवसेना में दो-फाड़ होने के वक्त हुआ था. तब उद्धव ठाकरे गुट ने मूल शिवसेना होने का दावा करते हुए पार्टी के नाम और निशान सहित किसी अन्य दावेदार के दावे पर कोई भी फैसला लेने से पहले उनको भी अवश्य सुने ऐसा कहा था. आयोग के पास फिर एकनाथ शिंदे गुट ने भी दावा किया. इसके बाद आयोग ने कई दिनों दोनों के दावे प्रतिदावे पर सुनवाई की, सबूत मांगे. आयोग ने कहा कि दोनों पक्ष पार्टी में विभाजन के ऊपर से नीचे तक की इकाइयों के समर्थन के सबूत पेश करें. इस पर दोनों गुटों ने लाखों समर्थन पत्र आयोग के पास जमा किए, ट्रकों में लादकर बोरों में भरे समर्थन पत्र आयोग में आए. सारी दलीलों और सबूतों पर विचार कर आयोग ने आखिरकार शिवसेना का नाम और धनुष बाण का निशान एकनाथ शिंदे गुट के नाम कर दिया था.

Share Now...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here