गुजरात विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड मार्जिन से जीत हासिल कर सातवीं बार सत्ता में लौटी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हौंसले बुलंद हैं. भूपेंद्र पटेल ने आज (12 दिसंबर) दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. गुजरात में एक बार फिर से सत्ता में लौटी बीजेपी के लिए काम अभी खत्म नहीं हुआ है. बीजेपी के सामने नाराज नेताओं को मनाने और महत्वाकांक्षी चुनावी वादों को पूरा करने की दोहरी चुनौती है. सीएम भूपेंद्र पटेल के सामने पहली चुनौती मंत्रिमंडल गठन के रूप में है.
बीजेपी को अपने चुनावी वायदों के अनुसार, सभी जाति समूह के लोगों को मंत्रीमंडल में संतोषजनक स्थान देने की पहली चुनौती को पार करना होगा. बीजेपी ने इस बार चुनाव में पिछड़ों, खासकर पाटीदार और पटेल समुदाय के वोटरों को ज्यादा तवज्जो दी. ऐसे में बीजेपी के लिए सभी समुदाय के नेताओं को देखते हुए मंत्रिमंडल में मनमाफिक विभागों का बंटवारा करना एक बड़ी चुनौती साबित होने वाला है. भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के लिए जमीनी स्तर पर काम करने और संकल्प पत्र की घोषणाओं को पूरा करने की सबसे बड़ी चुनौती होगी. भूपेंद्र पटेल को बतौर मुख्यमंत्री चुनावी वादों को पूरा करने के लिए वित्त जुटाना होगा. बीजेपी को अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए कई हजार करोड़ रुपये सलाना खर्च करने होंगे. गुजरात पर पहले से ही कर्ज का बोझ है. बीजेपी की ओर से किए गए चुनावी वादों को समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती है. आइये आपको बताते हैं चुनाव के दौरान बीजेपी की ओर से किए गए कुछ चुनावी वादों के बारे में.
- एंटी-रेडिकलाइजेशन सेल
- गुजरात यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी की सिफारिशों को लागू करना
- गुजरात को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना
- पश्चिमी भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए देवभूमि द्वारका कॉरिडोर का निर्माण
- एग्री-मार्केटिंग इन्फ्रा के लिए 10,000 करोड़
- ‘गुजरात ओलंपिक मिशन’ और गुजरात में 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के उद्देश्य से विश्व स्तरीय खेल बुनियादी ढांचा तैयार करना
- केजी से पीजी तक राज्य में सभी लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा
- राज्य में 20 लाख नए रोजगार सृजन
- महिलाओं के लिए एक लाख सरकारी नौकरी
गुजरात के कर्ज में हुई बढ़ोतरी
बीजेपी को इन सभी चुनावी वायदों को पूरा करने के लिए हर साल कोरोड़ों रुपये खर्च करने होंगे लेकिन कम्प्ट्रोलर ऑफ ऑडिटर जनरल (CAG) की रिपोर्ट बताती है कि गुजरात सरकार पर साल 2016-17 में ढाई लाख करोड़ रुपये के आसपास कर्ज था, जो 2021-22 में बढ़ककर साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया. ऐसे में सरकार के सामने सबसे पहली प्राथमिकता राज्य के बढ़ते कर्ज को कम कर अपने चुनावी वादों को पूरा करनी की होगी.
गुजरात में रोजगार की स्थिति
बीजेपी ने गुजरात में 20 लाख नए रोजगार सृजन करने की बात कही है. गुजरात सरकार के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, अक्टूबर 2021 तक रोजगार दफ्तर में 3.72 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 3.53 लाख लोग ग्रेजुएट थे. पिछले साल अक्टूबर तक 2.60 लोगों ने रोजगार दफ्तर में अपना नाम रजिस्टर्ड करवाया था, उनमें से 83 फीसदी यानी 2.17 लाख लोगों को रोजगार मिल गया था. इस बार बीजेपी ने एक लाख महिलाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है. बीजेपी सरकार के सामने इतनी बढ़ी संख्या में महिलाओं के लिए सरकारी नौकिरयों का इंतजाम करना और उसके लिए धन की व्यवस्था करना भी एक बड़ी चुनौती होगी. यानी बीजेपी सरकार को अगले पांच सालों में हर साल 20,000 नौकरियां महिलाओं के लिए निकालनी होंगी.
हेल्थ सिस्टम की स्थिति
देश में कोरोना काल के बाद से ही हेल्थ सेक्टर को लेकर सभी राज्यों में जोर दिया गया है. गुजरात में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पहले के मुकाबले बढ़ा है. 2017 में गुजरात में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 24 थी, जो 2021 में बढ़कर 31 हो गई. वहीं, 2016-17 में गुजरात का हेल्थ बजट साढ़े 6 हजार करोड़ रुपये था, जबकि 2022-23 में इसे बढ़ाकर 12 हजार 200 करोड़ रुपये कर दिया गया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि गुजरात में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की गई थी, इस योजना के तहत अबतक सिर्फ 5 लाख रुपये तक का हेल्थ कवरेज मिल रहा था, जिसे बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक कर दिया जाएगा. ऐसे में बीजेपी सरकार को हेल्थ सेक्टर पर खर्च होने वाले बजट को भी ध्यान में रखना होगा.