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Homeउत्तर प्रदेशप्रदूषण निगरानी केंद्र ही बंद करने से सुधर गई लखनऊ की हवा

प्रदूषण निगरानी केंद्र ही बंद करने से सुधर गई लखनऊ की हवा

प्रदूषण खत्म करने के लिए अफसरों ने नया तरीका ईजाद कर लिया है। नया तरीका है प्रदूषण निगरानी केंद्र को बंद करना, जिससे हवा अपने आप सुधरी दिखने लगेगी। जी हां, खराब सड़क, ट्रैफिक जाम जैसे कारणों को खत्म नहीं कर पाए अफसरों ने तालकटोरा में यह प्रयोग किया है। इस प्रयोग का ही परिणाम रहा कि देर शाम को शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के नीचे पहुंच गया, जो कि हवा के सुधरने का संकेत है। शाम चार बजे भी यह 201 रिकॉर्ड हुआ। अभी तक तालकटोरा में एक्यूआई के 300 से अधिक रिकॉर्ड होने की वजह से शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब की श्रेणी में बना हुआ था।

नए प्रयोग पर चौंकिए नहीं। हवा की सेहत सुधरी हुई दिखाने के लिए निगरानी केंद्रों को कुकरैल वन क्षेत्र और कम आबादी वाले क्षेत्र बीबीएयू में लगाने का प्रयोग तो अफसर पहले ही कर चुके हैं। इससे भी बात नहीं बनी तो सबसे अधिक प्रदूषण वाले केंद्रों को ही बंद किया जाने लगा। रविवार को भी तालकटोरा का निगरानी केंद्र बंद था। इस वजह से औसत एक्यूआई निकालने के लिए डाटा ही उपयोग नहीं हो पाया। वहीं मंगलवार को भी यह निगरानी केंद्र बंद रहा। कुकरैल का निगरानी केंद्र भी मंगलवार को डाटा नहीं जुटा पाया। बहरहाल, यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. यूसी शुक्ला का कहना है कि संभावना है कि किसी तकनीकी दिक्कत की वजह से ऐसा हुआ हो। तालकटोरा में खासतौर पर हमारा प्रयास वायु प्रदूषण कम करने पर है। यहां प्लाईवुड फैक्टरियों पर सख्ती के अलावा जिला उद्योग केंद्र व पीडब्ल्यूडी से सड़क बनवाने, ट्रैफिक जाम नहीं लगने देने पर काम किया जा रहा है। तालकटोरा में प्लाईवुड फैक्टरियों को बंद करने की कार्रवाई शुरू कर चुके यूपीपीसीबी ने संचालकों को चिमनियां 10 मीटर ऊंची करने और बॉयलर में सीएनजी का उपयोग ही होने का विकल्प चुनने के लिए कहा है। ऐसा नहीं होने पर यूपीपीसीबी ने फैक्टरियां बंद कराने की बात कही है। एनओसी निरस्त करने का नोटिस जारी होने के बाद यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव अजय शर्मा से कारोबारी मिले। सदस्य सचिव ने कहा, चिमनियों को ऊंचा करने के अलावा वेट स्क्रबर के साथ प्रदूषण नियंत्रण इकाई को 24 घंटे चलाया जाए। वेट स्क्रबर गीले होने के कारण कार्बन के कणों को सोख लेता है। इससे कार्बन के कण हवा में नहीं घुलते। केवल सफेद धुआं ही हवा में ब्रीदिंग जोन के बाहर निकलता है। वहीं लकड़ी के टुकड़ों की जगह सीएनजी का उपयोग होने से प्रदूषण न्यूनतम हो जाएगा।

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