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Homeदेशधर्मगुरु दलाई लामा के चुनाव को लेकर चीन ने तरेरी आंखें

धर्मगुरु दलाई लामा के चुनाव को लेकर चीन ने तरेरी आंखें

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के चुनाव को लेकर एक बार फिर चीन ने आंखें तरेरी है. शुक्रवार को चीन ने कहा है कि मौजूदा 88 वर्षीय दलाई लामा का कोई भी उत्तराधिकारी चीनी सीमा के अंदर से चुना जाना चाहिए और इसके लिए चीन की अनुमति लेनी जरूरी है.

चीन सरकार ने एक श्वेत पत्र में कहा है कि दलाई लामा और पंचेन रिनपोचे सहित तिब्बत में रह रहे सभी अवतरित बुद्ध को चीन की सीमा के अंदर से ही उत्तराधिकारी ढूंढना होगा. परंपरा के मुताबिक सोने के कलश से लॉटरी निकाल कर निर्णय लिया जाएगा और इसके पहले चीन सरकार की अनुमति अनिवार्य होगी. अपने श्वेत पत्र में भारत की सीमा पर बने इंफ्रास्ट्रक्चर का जिक्र करते हुए चीन ने कहा है कि तिब्बत, नेपाल के जरिये रेल व सड़क संपर्क के साथ दक्षिण एशिया के लिए एक द्वार बनने वाला है. चीन जिस हिस्से को को तिब्बत कह रहा है वह भारत का अरुणाचल प्रदेश है. चीन तिब्बत को शिजांग कहता है. बता दें कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का चुनाव चीन अपने स्तर पर भी करता है. हालांकि उनकी स्वीकारोक्ति बौद्ध संप्रदाय में बहुत अधिक नहीं रहती. मौजूदा पंचेन लामा की तिब्बत में व्यापक स्वीकार्यता नहीं बनी है. वह नंबर-2 आध्यात्मिक गुरु हैं जिन्हें दलाई लामा द्वारा नामित उत्तराधिकारी को अपदस्थ कर चीन ने नियुक्त किया था. श्वेत पत्र के अनुसार, ”धार्मिक गतिविधियां व्यवस्थित तरीके से की जा रही हैं. क्षेत्र में अभी तिब्बती बौद्ध गतिविधियों के लिए 1,700 से अधिक स्थल हैं, करीब 46,000 बौद्ध भिक्षु हैं, चार मस्जिद और 12,000 मूल निवासी मुस्लिम तथा एक कैथोलिक गिरिजाघर व इस धर्म के 7,000 से अधिक अनुयायी हैं. आपको बता दें कि तिब्बती में लामा का अर्थ गुरु होता है. दलाई लामा का चुनाव बेहद जटिल प्रक्रिया है. मौजूदा दलाई लामा शरीर छोड़ने से पहले अपने अगले जन्म के संकेत दे जाते हैं. उनके शरीर छोड़ने के बाद 9 महीने के करीब जन्म लेने वाले बच्चों में उन संकेतों को ढूंढा जाता है. उसके बाद मौजूदा दलाई लामा की चीजों की पहचान की करवाई जाती है. जो बच्चा उन चीजों को पहचान जाता है उसी को लाकर बौद्ध मठ में प्रशिक्षण दिया जाता है.

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