विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक लगभग 50 करोड़ लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं. इनमें करीब 8 करोड़ लोग भारत से आते हैं. जिन लोगों को डायबिटीज है, उन्हें खान-पान में परहेज के साथ कई तरह की दवाइयों का सेवन करना पड़ता है. इसके साथ ही बीच-बीच में कुछ सामान्य परेशानियों पर सामान्य दवाइयां भी खानी पड़ती है. लेकिन एक हालिया स्टडी में पाया गया है कि जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज है, अगर वे सामान्य दवाइयां खाते हैं तो उनमें कार्डिएक अरेस्ट का जोखिम ज्यादा हो जाता है. कार्डिएक अरेस्ट में हार्ट काम करना बंद कर देता है. अगर तत्काल इसमें मेडिकल हस्तक्षेप नहीं किया गया तो मौत तय है. नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में पाया कि एंटीबायोटिक, एंटी-सिकनेस और एंटी-सायकोटिक दवा लेने वालों में कार्डिएक अरेस्ट का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
एंटीबायोटिक, एंटी-सिकनेस और एंटी-सायकोटिक दवाओं का असर
ग्लोबल डायबेट्स कम्युनिटी के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज था, अगर उनमें पहले से हार्ट डिजीज का कोई इतिहास हो या न हो, जब वे एंटीबायोटिक, एंटी-सिकनेस और एंटी-सायकोटिक दवाओं का सेवन करेंगे तो उनमें कार्डिएक अरेस्ट का खतरा बढ़ेगा ही. यह रिसर्च बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि अधिकांश लोग डायबिटीज से पीड़ित होते हुए अक्सर एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं. इससे पहले की स्टडी में यह पाया गया था जो लोग एक्सरसाइज नहीं करते, हाई ब्लड प्रेशर है या स्मोक करते हैं, उनमें कार्डिएक अरेस्ट का खतरा ज्यादा है. अध्ययन में शोधकर्ताओं ने टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित 650 लोगों की हेल्थ का आंकड़ा जुटाया और उनमें दवाइयों की आदत का पता लगया. इन सभी लोगों को 2010 से 2019 के बीच कार्डिएक अरेस्ट आ चुका था.
बिना डॉक्टरों की सलाह न लें एंटीबायोटिक
इस पड़ताल में पाया गया कि 352 लोगों को पहले से हार्ट डिजीज के लक्षण थे जबकि 337 लोगों को हार्ट संबंधी कोई परेशानी नहीं थी. इन सबके अलावा शोधकर्ताओं ने बगैर डायबिटीज वाले 3230 लोगों की हेल्थ का आंकड़ा भी जुटाया और इसका परीक्षण किया. अब जब इन सबका रिजल्ट सामने आया तो पाया गया कि डोमपेरीडोन, मैक्रोलिडेस, फ्लूरोक्वीनोलोन्स और हेलोपेरीडोल दवा लेने वालों में कार्डिएक अरेस्ट का जोखिम कहीं ज्यादा था. अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों को पहले से हार्ट डिजीज नहीं था और उन्होंने एंटी-सायकोटिक दवा ली तो उनमें कार्डिएक अरेस्ट का जोखिम 187 प्रतिशत तक बढ़ गया. वहीं टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोग जिन्होंने प्रोकाइनेटिक दवाइयां ली, उनमें कार्डिएक अरेस्ट आने का जोखिम 66 प्रतिशत था. इस अध्ययन का लब्बोलुआब यह हुआ कि यदि आप टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं तो अपने मन से एंटीबायोटिक या डिप्रेशन की दवा न लें. इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर की परामर्श लें.