- कोहरे के चलते वाहनों की रफ्तार हुई धीमी, अलाव बना का सहारा
जौनपुर धारा, सिकरारा। इस समय पड़ रही कड़ाके की ठंड में जहां लोग ठिठुरे है, वहीं अब आम जनजीवन के कामकाज पर भी असर पड़ रहा है। आवश्यक काम से आने जाने वाले लोग ठंड से बचाव करते हुए बकायदा ऊनी कपड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि अधिकांश बहुत अधिक आवश्यकता पढ़ने पर ही घर से बाहर निकल रहे हैं। इस ठण्ड में सबसे ज्यादा मुसीबत छोटे-छोटे बच्चों व बुजुर्गों को हो रहा है। क्योंकि हाड़ कपा देने वाली ठंड ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को भी प्रभावित कर दिया है। जो व्यक्ति अल सुबह उठकर स्नान, ध्यान करके अपने आवश्यक कार्य में लग जाते थे, अब वही लोग ठंड के चलते लेट तक रजाई में दुबके रहते हैं। विगत कुछ दिनों से पड़ रहे घने कोहरे की वजह से लोगों का जहां जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है, वही वाहनों की रफ्तार भी धीमी पड़ गई है। क्योंकि कोहरे के चलते सामने बराबर न दिखने की वजह से गाड़ियां धीमी रफ्तार से चल रही है। कोहरे के चलते गलन व ठंड में इजाफा हुआ है। सबसे ज्यादा दिक्कत इस समय दोपहिया वाहन चालकों को उठानी पड़ रही है। ठंड के मारे वह खुद धीमी रफ्तार से चल रहे है। क्षेत्र के फतेहगंज, लालाबाजार, सिकरारा, शेरवां, खपरहा, बरईपार, मीठेपार, गनापुर, प्रतापगंज, गुलजारगंज बाजार, समाधगंज, मेंहदी, मलसिल, टेकारी आदि जगहों पर लोग ठंड से बचने के लिए अलाव तापते नजर आए। रोड पर चलने वाले दोपहिया वाहन चालक व राहगीर ऊनी कपड़ों से शरीर को बकायदे ढके हुए दिखाई दिए। बता दे कि इस कड़ाके की ठंड में अलाव ही लोगों का एकमात्र सहारा बना हुआ है। शासन प्रशासन की तरफ से ठंड से बचने के लिए आम लोगों के लिए कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं कराई गई है और न ही क्षेत्र में गरीबों व मजलूमों में कही कंबल का वितरण कराया गया। शासन प्रशासन के अलावा समाज सेवियों द्वारा भी कंबल वितरण का कार्य नहीं किया गया। इस ठंड में सरकार का पूरा ध्यान अयोध्या के रामनगरी में लगा रहा। इधर ठंड में लोग ठिठुरते रहे। स्थानीय ग्राम प्रधान भी ठंड के प्रति संवेदनहीन बने रहे। जबकि क्षेत्र के सार्वजनिक स्थानों बैंक, डाकघर, प्राइवेट अस्पताल आदि पर भी अलाव की कोई व्यवस्था नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। क्षेत्र में जगह-जगह लोग ठंड से बचने के लिए चट्टी चौराहों व चाय पान की दुकानों पर भट्ठियों से सटे अलाव तापते हुए देखे जा रहे हैं। इसके अलावा क्षेत्र में अधिकांश लोग स्वयं के खर्चे से लकड़ी, ईंधन की व्यवस्था कर अलाव जलाकर ठंड से बचने व लोगों को बचाने का कार्य कर रहे हैं।