चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी का सरकार ने दिया जवाब

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मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को ज़्यादा पारदर्शी बनाए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई जारी है. याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयुक्तों के चयन का काम सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष की कमिटी को सौंपा जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त को इतना मजबूत होना चाहिए कि अगर कल प्रधानमंत्री के ऊपर भी किसी गलती का आरोप लगता है, तो वह अपना दायित्व निभा सके. इस पर सरकार ने जवाब दिया कि सिर्फ काल्पनिक स्थिति के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट पर अविश्वास नहीं किया जाना चाहिए. अब भी योग्य लोगों का ही चयन किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान में चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और दो इलेक्शन कमिश्नरों (ECs) के कंधों पर महत्वपूर्ण शक्तियां दी हैं. इसलिए इनकी नियुक्ति के वक्त निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाना चाहिए, ताकि बेस्ट व्यक्ति ही इस पद पर नियुक्त किया जाए. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में संविधानिक चुप्पी का फायदा उठाया जा रहा. इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 324 (2) में CEC/ECs की नियुक्ति के लिए कानून बनाने की बात कही गई.

2018 में दायर हुई थी याचिका 

यह सुनवाई कोर्ट ने भविष्य में कॉलेजियम सिस्टम के तहत CEC और EC की नियुक्ति की प्रक्रिया पर 23 अक्टूबर 2018 को दायर की गई एक याचिका पर की है. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र एकतरफा चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करती है. पांच जजों (जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषीकेश रॉय और सीटी रविकुमार) की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.

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