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हिंदू धर्म में कई परंपराएं और मुहूर्त लोगों के लिए होते हैं खास

अमेठी. हिंदू धर्म में कई परंपराएं और मुहूर्त लोगों के लिए खास होते हैं और हिंदू धर्म में इन नियमों और पूजा पाठ सहित मुहूर्त का पालन भी किया जाता है. ऐसे में कल से मलमास शुरू हो रहा है. मलमास के दौरान 1 महीने तक सभी शुभ कार्य स्थगित कर दिए जाएंगे और इस दौरान सिर्फ पूजा-पाठ होगा. पितरों की शांति के लिए अलग-अलग दिनों में विधि-विधान से पूजा पाठ कर उन्हें पिंडदान भी किया जाएगा.

आपको बता दें कि कल 14 मार्च से मलमास प्रारंभ हो रहा है. भगवान सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेंगे और मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी. 14 मार्च को यानी कल 6 बजकर 33 मिनट सुबह से खरमास शुरू हो जाएगा. खलमास शुरू होने के बाद से मुंडन, जनेऊ, निष्कासन कार्यक्रम सहित सभी शुभ कार्य वर्जित कर दिए जाते हैं. इस दौरान सिर्फ पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ और पिंडदान किए जाते हैं. मान्यता है कि इस दौरान गंगा, यमुना और पवित्र नदियों में स्नानकर पितरों की आत्मा की शांति के निमित्त दान-पुण्य करना चाहिए. ओम देवताभ्य: पितृभ्य महायोग्स्य नम: स्वाहा स्वाधाए नित्मीयनमोनम: पितृ और गायत्री मंत्र का जाप भी करना चाहिए. मलमास के दौरान पितरों की शांति के लिए वस्त्रदान, अन्नदान, स्वर्णदान, भूमिदान, नमकदान, वृक्षदान, फलदान सहित अपने पितरों की शांति के लिए करने पर पिंडदान करना चाहिए. मलमास शुरू होने को लेकर आचार्य बल्लभाआचार्य महाराज ने कहा कि 14 मार्च से शुरू होकर 14 अप्रैल तक खरमास रहेगा. इस खरमास के दौरान पूजा-पाठ और भगवान की आराधना करनी चाहिए. 22 मार्च से नवरात्र की भी शुरुआत हो रही है. इसलिए खलमास में अपने पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ करने से पितरों को शांति मिलती है.

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