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Homeउत्तर प्रदेशजगुआर और हेलीकॉप्टर पर नहीं बैलगाड़ी पर हुई दुल्हन की विदाई

जगुआर और हेलीकॉप्टर पर नहीं बैलगाड़ी पर हुई दुल्हन की विदाई

 झांसी में एक दुल्हन की विदाई कुछ इस तरह हुई जिसे देखकर हर कोई तारीफ करने लगा. विदाई देखने वाले लोगों ने तो यह तक कह दिया कि यह नजारा तो फिल्म नदिया के पार की तरह है. आजकल जहां लोग एक तरफ दुल्हन की विदाई डोली से लेकर महंगी गाड़ियां जैसे मर्सिडीज, जगुआर और हेलीकॉप्टर में कराते हैं तो वहीं बैलगाड़ी पर हुई इस विदाई को देखकर लोग हैरत में पड़ गए.

झांसी में लोगों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के उद्देश्य से दूल्हा अपनी दुल्हन को विदा कराने के लिए जब रंग-बिरंगे कपड़े और फूल मालाओं से सजी बैल गाड़ियों में पहुंचा तो पुरानी परंपराओं की यादें ताजा हो गई. इसको देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. झांसी के रणबीर का विवाह चाहत नाम की लड़की के साथ हुआ था. जब विदाई का समय आया तो हर किसी को लगा कि कोई महंगी गाड़ी दरवाजे पर आएगी. लेकिन, जब बैलगाड़ियों की एक लंबी कतार दिखी तो यह पूरे शहर में चर्चा का केंद्र बन गई.

बैलगाड़ियों का निकला काफिला
दुल्हन को विदा करने के लिए 50 से अधिक बैलगाड़ियों पर लोग सवार होकर आए थे. काफिले में सबसे आगे डीजे की धुन पर घोड़े नृत्य कर रहे थे. उसके पीछे बैंड बाजा चल रहा था. उसके बाद रंगबिरंगी कपड़ों से सजी बैलगाड़ी पर दुल्हा और दुल्हन बैठे हुए थे. इस बैलगाड़ी के सारथी दुल्हे के चाचा पंजाब सिंह यादव बने. इसके पीछे बैलगाड़ियों की लंबी कतार थी. लगभग 4 किलोमीटर तक यह यात्रा निकली.

बैलगाड़ियों पर विदाई किसानों की परंपरा
दुल्हे के चाचा पंजाब सिंह यादव ने कहा कि वह किसान के बेटे हैं. किसानों की जो परंपराएं थी उसे लोग भूलते जा रहे हैं. बैलगाड़ियों पर विदाई हमारी परंपरा थी. उस परंपरा को फिर सुचारू करने के लिए उनके दिमाग में बैलगाड़ी से विदाई कराने की बात आई. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह भारतीय संस्कृति को अपनाए.

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