- शाह के पंजे में तुर्बत को किया गया सुपुर्द-ए-खाक
जौनपुर धारा,जौनपुर। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.व.) के दामाद व मुसलमानों के चौथे खलीफा हजरत अली (अ.स.) की शहादत के मौके पर रविवार को जनपद के विभिन्न इलाकों में शबीहे ताबूत व अलम का जुलूस निकाला गया। इस दौरान रोजेदारों द्वारा उनकी याद में नौहा मातम करते हुए पुरसा दिया गया। हर तरफ बस यही नौहा सुनाई पड़ रहा था …एक शोर है मस्जिद में खालिक की दुहाई है, सजदे में नमाजी को तलवार लगायी है… इब्ने मुल्जिम ने हैदर को मारा रोजेदारों कयामत का दिन है…। इन्हीं नौहों के साथ लोग अपने इमाम के गम में डूबे रहे। मुस्लिम मान्यता के अनुसार सन 40 हिजरी में माहे रमजान की 19वीं तारीख को सुबह की नमाज के वक्त उस दौर के आतंकवादी अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम ने जहर बुझी तलवार से हजरत अली को शहीद कर दिया था। इसी की याद में शाही किला स्थित इमामबारगाह मद्दू मरहूम में दिन में 2 बजे एक मजलिस का आयोजन हुआ। मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना कैसर अब्बास ने मौला अली के फजायल व मसायब बयान किये। उन्होंने कहाकि हजरत अली का पूरा जीवन गरीबों, यतीमों, विधवाओं के प्रति समर्पित था। वो यतीमों की इस प्रकार मदद करते थे कि उन्हें पता भी नहीं चलता था कि मदद करने वाला कौन है। हजरत अली ने इस्लाम की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि हजरत अली खुद भूखे रहते थे लेकिन गरीबों का पेट भरते थे। उनके जैसी शख्सियत दुनिया में कोई दूसरी नहीं है। उन्होंने इस्लाम को परवान चढ़ाने के लिए बहुत सी जंग की। उन्हें धोखे से नमाज की हालत में मस्जिद में शहीद कर दिया गया। मजलिस के फौरन बाद शबीहे ताबूत व अलम का जुलूस निकाला गया। जिसके हमराह अंजुमन हुसैनिया बलुआघाट नौहा व मातम करती हुई चहारसू चौराहे पर पहुंची जहां एक तकरीर मास्टर मोहम्मद हसन नसीम ने की। उधर नगर के मोहल्ला अजमेरी की मस्जिद शाह अता हुसैन से भी एक शबीहे ताबूत व अलम का जुलूस निकाला गया। इसके बाद चहारसू पर अलम को तुर्बत से मिलना कराया गया।तत्पश्चात दोनो जुलूस एक साथ अपने कदीम रास्तों से होता हुआ शाह के पंजे पहुंचा जहां नमाजे मगरबैन तुर्बत को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।