- ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप, शिक्षा विभाग बेपरवाह
सोहन यादव
जौनपुर धारा, सरायख्वाजा। करंजाकला विकासखण्ड स्थित प्राथमिक विद्यालय मंगदपुर में मिड-डे-मील योजना के नाम पर खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन देने की बजाय उन्हें खाना के नाम पर छलावा दिया जा रहा है। बच्चों के अभिभावकों और ग्राम प्रधान ने विद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि बच्चों को न समय से भोजन मिल रहा है और न ही निर्धारित पोषण सामग्री।
प्रधान राज कुमार सोनकर ने आरोप लगाया कि विद्यालय में बच्चों को जो खीर दी जाती है, उसमें दूध और चीनी की मात्रा इतनी कम होती है कि उसका स्वाद भी खीर जैसा नहीं होता। दाल में पानी इतना अधिक होता है कि वह केवल चावल के ऊपर गिरा चावल का पानी लगती है। यहां तक कि खीर बनाने के लिए मात्र चार सौ ग्राम के पाउच से 70 बच्चों में बाँट दिया जाता है, जिससे पोषण का कोई लाभ बच्चों को नहीं मिल पाता। बच्चों ने बताया कि जब वे खाना माँगते हैं तो रसोई में कार्यरत महिलाएं उन्हें डांट देती हैं और कहती हैं कि खाना खत्म हो गया। जिससे यह प्रतीत होता है कि दूसरी बार खाना माँगना यहाँ जैसे गुनाह बन चुका है। मौसमी फल की बात करें तो महीने में केवल एक बार एक केला या फिर दो-तीन अंगूर ही बच्चों को थमा दिए जाते हैं, जिससे मिड डे मील योजना की वास्तविक मंशा ही कुचल दी गई है। जब इन गंभीर आरोपों की जानकारी परिजनों ने ग्राम प्रधान को दी, तो ग्राम प्रधान स्वयं विद्यालय पहुँचकर स्थिति का जायज़ा लेने पहुँचे। प्रधानाध्यापक से जब उन्होंने बच्चों के भोजन और पोषण की व्यवस्था की जानकारी माँगी। तो प्रधानाध्यापक ने न केवल जवाब देने से इनकार किया बल्कि दबंगई पर उतर आए। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, आप जहाँ चाहें शिकायत कर लें, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अधिकारी भी मेरा कुछ नहीं कर पाएंगे। प्रधान ने बताया कि उन्होंने तत्काल खण्ड शिक्षा अधिकारी श्रवण कुमार से इस विषय में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक कोई जांच या कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षा विभाग भी इस भ्रष्टाचार में या तो आंख मूंदे बैठा है या कहीं न कहीं से संरक्षण मिल रहा है।
शिक्षा विभाग की लापरवाही और विद्यालय प्रशासन की मनमानी के चलते मिड डे मील योजना की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। जहां यह योजना बच्चों के पोषण और उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए चलाई जाती है, वहीं मंगदपुर विद्यालय में यह योजना बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ का माध्यम बन चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कर कार्रवाई नहीं की गई तो वे सामूहिक रूप से जिला अधिकारी और मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुँचाएंगे। यह मामला सिर्फ विद्यालय स्तर तक सीमित नहीं है, यह बच्चों के भविष्य और स्वास्थ्य से जुड़ा सवाल है, जिसे अनदेखा करना समाज और सरकार दोनों के लिए गंभीर परिणाम लेकर आ सकता है।
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श्रवण कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मैं मीडिया से बात नहीं करूंगा। आप हमारे उच्च अधिकारी से बात कीजिए। खण्ड शिक्षा अधिकारी करंजाकला