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मजदूरी में नहीं लगा मन, सुअर पालन से अपना भविष्य संवार रहा रायबरेली का युवक

अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मंजिलें खुद-ब-खुद आपकी तरफ चली आती हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रायबरेली के कुलदीप कुमार ने, जिन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को मात देते हुए सफलता की नई इबारत लिखी है. कुलदीप नौकरी छोड़ कर सुअर पालन कर रहे हैं. इसके साथ ही कुलदीप अपने गांव के लिए रोल मॉडल बन गये हैं. कुलदीप कुमार बताते हैं कि जब उन्होंने यह काम शुरू किया था तो गांव के लोग उन्हें ताने देते थे लेकिन आज वही लोग उनकी प्रशंसा भी करते हैं.

दरअसल, कुलदीप का बचपन बड़े ही कठिनाइयों में बीता. परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी जिस कारण ठीक से उनकी पढ़ाई नहीं हो पाई. उन्होंने कुछ दिनों तक लखनऊ में मजदूरी का काम किया. जिसमें उनका मन नहीं लगा तो पशुपालन के बारे में जानकारी ली. उन्हें सुअर पालन का काम सबसे अच्छा लगा. जिसके बाद उन्होंने सुअर पालन का काम शुरू कर दिया. जिससे वह कम लागत में सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. रायबरेली के कुंभी गांव के रहने वाले कुलदीप कुमार बताते हैं कि वह पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी. मजबूरी में उन्होंने पढ़ाई छोड़ मजदूरी करना शुरू किया. उन्हें सुअर पालन का काम सबसे अच्छा लगा क्योंकि इसमें कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. वह बताते हैं कि सुअर पालन के लिए चुनी चोकर सहित अन्य चीजों की व्यवस्था करना पड़ता है. इसी काम की बदौलत वह आज काफी कुछ हासिल कर चुके हैं और अपने घर पर ही रहकर नौकरी से ज्यादा आमदनी कर रहे हैं. कुलदीप कुमार बताते हैं कि सुअर पालन में शुरुआत में 60 से 80 हजार रुपए तक की लागत आती है फिर उसके बाद सालाना लगभग तीन से चार लाख रुपए आसानी से कमाया जा सकता है. सुअर एक बार में कई बच्चों को जन्म देते हैं. उनकी देखभाल के लिए कई तरह की सुविधाओं का प्रबंध करना पड़ता है. साथ ही उनके स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना पड़ता है. समय-समय पर इनका स्वास्थ्य परीक्षण भी कराना पड़ता है. सुअर में अमूमन बीमारियां कम होती है. फिर भी दस्त होने की शिकायत आती है. इसके अलावा मुंह का रोग आता है. पर इससे बचाव के लिए वो हर साल डॉक्टर से सुअर का टीकाकरण कराते हैं.

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