- भारतीय ज्ञान परम्परा’ विषयक दो दिवसीय व्याख्यान माला का समापन
जौनपुर धारा,जौनपुर। गांधी स्मारक पीजी कॉलेज,समोधपुर में संस्कृत विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारतीय ज्ञान परम्परा’ विषयक दो दिवसीय 04 से 05 मार्च व्याख्यान माला का समापन हुआ। कार्यक्रम के दूसरे दिवस मुख्य अतिथि प्रोफेसर मार्कण्डेय नाथ तिवारी, विभागाध्यक्ष संस्कृत,लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने संस्कृत भाषा और साहित्य पर व्याख्यान दिया। व्याख्यान के बाद प्रोफेसर तिवारी ने जिज्ञासु छात्र-छात्राओं विजेंद्र पांडेय, श्वेतांजलि, चांदनी तथा प्राध्यापक विष्णुकांत त्रिपाठी के प्रश्नों का उत्तर दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन मे प्राचार्य प्रोफेसर रणजीत कुमार पाण्डेय ने भारतीय ज्ञान परम्परा में संस्कृत भाषा को अद्भुत बताया। प्रोफेसर पाण्डेय ने कहा कि संस्कृत में सभी विषयों के ज्ञान समाहित है। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के पूर्व समन्वयक प्रोफेसर राकेश कुमार यादव ने कहा भारत प्राचीन काल में विश्वगुरु था। यहाँ कई विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई थी। हमारे देश को शिक्षा का केंद्र माना जाता था। प्रोफेसर यादव विद्यार्थियों को जिज्ञासा भाव को आत्मसात करने की आवश्यकता है। क्योंकि ज्ञान-विज्ञान से संबंधित प्राप्त सभी तथ्य जिज्ञासा के कारण मिले। बीएड विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.पंकज सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपरा में बौद्ध काल को स्वर्ण काल बताया। डॉ.यूपी सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपरा में आस्था के महत्व को बताया। डॉ.अवधेश कुमार मिश्रा ने कहा कि हमें भारतीय संस्कृति को अपनाने की आवश्यकता है। डॉ.लालमणि प्रजापति ने भारतीय ज्ञान परंपरा के इतिहास को बताते हुए कहा कि वैदिक काल के गुरुकुल पद्धति के महत्व को बताया। डॉ.इंद्र बहादुर ने भारतीय ज्ञान परंपरा के तहत विद्यार्थियों से मौलिक चिंतन का आग्रह किया। प्राध्यापक विष्णुकांत त्रिपाठी ने कहा कि विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के इतर जिज्ञासा भाव रखनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ.अरुण कुमार शुक्ला, सहायक आचार्य संस्कृत ने किया। इस अवसर पर डॉ.आलोक प्रताप सिंह बिसेन, डॉ.वंदना सिंह, डॉ.जितेन्द्र सिंह, डॉ.जितेन्द्र कुमार, डॉ.सत्यप्रकाश सिंह, डॉ.नीलू सिंह, कार्यालय अधीक्षक बिन्द प्रताप सिंह, अखिलेश सिंह आदि शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।