- कुर्बानी के लिये लोगों की बकरे की खरीदारी
- ईदगाहों में पूरे दिन चलती रही साफ-सफाई
जौनपुर धारा, जौनपुर। ईद-उल-अजहा कुर्बानी का पर्व सोमवार को मनाया जाएगा। जिसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। यह बकरीद का पर्व कुर्बानी का माना जाता है। इसके लिए लोग बकरा आदि ककी खरीदारी करतें हैं। रविवार को मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में देर रात तक खरीदारी होती रही, इसके कारण वहां चहल-पहल रही। युवकों में इस पर्व को लेकर विशेष उत्साह दिख रहा था। बकरीद का पर्व सोमवार को मनाया जाएगा। रविवार को इसकी तैयारी पूरी कर ली गई। पहले दिन की कुर्बानी के लिए लोगों ने बकरों की जमकर खरीदारी की। नवाब साहब के अहाते में लगी बकरो की मंडी में लोग बकरों के दाम लगाते रहे। वहीं ईदगाहों की साफ-सफाई को अंतिम रूप दिया गया। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में बकरीद की तैयारी में लोग जुटे रहे। मुस्लिम समुदाय कुर्बानी के लिए बकरों की खरीदारी में मशगूल दिखे। व्यापारियों ने बताया कि बाजार में इस बार सस्ते से महंगे कीमत तक के बकरे मौजूद हैं, लोग अपने बजट के मुताबिक बकरों की खरीदारी कर रहे हैं। बकरों के अलावा भैंस, पड़वे, दुंबे और भेड़ की भी लोगों ने खरीदारी की जबकि इसके अलावा सेंवई, इत्र और कुर्ता-पजामा आदि भी लोग खरीदते रहे। ईदगाहों और मुस्लिम इलाकों में दिनभर-सफाई का दौर चला। वहीं ईदगाहों में बकरीद की नमाज का समय तय कर लिया गया है। शहर में मछलीशहर पड़ाव स्थित शाही ईदगाह में नमाज के बाद लोग मुल्क में अमन चैन और तरक्की की दुआ करेंगे। कुर्बानी के इस पर्व को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए शहर से लेकर गांव तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मस्जिदों और ईदगाहों पर फोर्स तैनात रहेगी। मुस्लिम मान्यताओं के अनुसार इस त्योहार को लोग ईद-अल-अजह़ा और ईद-उल-अज़हा नाम से जानते हैं। इस दिन को त्याग और कुर्बानी के तौर पर याद किया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, हर साल आखिरी माह ज़ु अल-हज्जा की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है। इस साल बकरीद 17 जून यानी आज मनाई जा रही है। ये पर्व पैगंबर हजरत इब्राहिम से ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी। इस दिन सूर्योदय के बाद नमाज़ अदा करने के बाद कुर्बानी दी जाती है। माना जाता है कि एक दिन हजरत इब्राहीम से ख्वाब में अल्लाह ने उनकी सबसे प्यारी चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान करने को कहा। हजरत इब्राहिम ने अपने ख्वाब को सच जाना और अल्लाह की राह में अपनी सबसे अज़ीज चीज अपने बेटे को अपने रब की रजा के लिए कुर्बान करने की ठान ली।