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फीफा वर्ल्ड कप फाइनल में 15 लाख फुटबॉल फैंस के फाइनल में आने की उम्मीद

फुटबॉल के सबसे बड़े टूर्नामेंट फीफा वर्ल्ड कप 2022 के मेजबान के रूप में कतर का चयन करने के फैसले की शुरुआत से ही इसकी आलोचना की जा रही है. फीफा के अधिकारियों द्वारा वोटिंग के बाद 2010 में चयन की घोषणा की गई थी. कतर के मेजबान के रूप में चयन को लेकर लंबे समय से रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. इन सब के बावजूद कतर दुनिया के सबसे बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट की मेजबानी हासिल करने में कामयाब रहा है. विश्व कप फाइनल के दौरान 15 लाख फुटबॉल प्रशंसकों के आने की उम्मीद है.

कतर हमेशा से ही कट्टर नियमों को लेकर दुनिया की नजरों में छाया रहता है. यही नहीं, कतर में पिछले कुछ समय से कट्टरपंथी ताकतों की छवि भी साफ देखने को मिलती है. एक इस्लामिक देश होने के कारण यहां पर दूसरे देशों के मुकाबले नियमों को कठोर बनाया गया है. आइए जानते हैं इसके विवादों में रहने की वजह के बारे में. कतर में समलैंगिक संबंध बनाना अवैध है, क्योंकि उन्हें इस्लामिक शरिया कानून के तहत अनैतिक माना जाता है. कतर में सलैंगिक संबंध बनाने पर सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है. इसमें सात साल की जेल की सजा से लेकर पत्थर मार कर मौत भी शामिल है. हालांकि, कतर के विश्व कप आयोजकों का कहना है कि यहां सभी का स्वागत किया जाएगा और किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा. वहीं, कतर 2022 के मुख्य कार्यकारी नासिर अल खातेर का कहना है कि समलैंगिता पर कानून हीं बदलेगा और यहां आने वाले सभी लोगों को उनकी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए.

कतर में विदेशी कामगारों के साथ व्यवहार?

भारत, बांग्लादेश, नेपाल और फिलीपींस जैसे देशों के लगभग 30,000 श्रमिकों ने विश्व कप फाइनल के लिए सुविधाओं का निर्माण किया है, जिसमें नए स्टेडियम, होटल और सड़कें शामिल हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कतर ने फरवरी 2021 में विश्व कप की बोली जीती थी. उस दौरान कतर में 6500 से ज्यादा श्रमिकों की मौत हो चुकी थी, जो यह बताने के लिए काफी है कि कतर में विदेशी कामगारों की स्थिति कैसे है. हालांकि, सरकार ने इस रिपोर्ट भ्रामक बताया था.

कतर ने दावा किया कि इसमें कई विदेशी कर्मचारी शामिल थे, जो लंबे समय तक कतर में रहे थे और विश्व कप परियोजनाओं पर काम नहीं किया था. कतर के आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 2014 और 2020 के बीच, विश्व कप स्टेडियम निर्माण स्थलों पर 37 मजदूरों की मौतें हुईं. वहीं, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि केवल 2021 में कतर में 50 विदेशी मजदूरों की मौत हो गई और 500 से अधिक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. इनके अलावा 37600 को मामूली से कम चोटें आईं हैं. 

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