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द्वितीय विश्व युद्ध में पर्ल हार्बर अमेरिका पर द्वितीय विश्व युद्ध का हमला

अगर आपको थोड़ा बहुत इतिहास पढ़ने का शौक है तो आप द्वितीय विश्व युद्ध और 7 दिसंबर के महत्व के बारे में भी जानते होंगे. दरअसल, इस एक दिन के कुछ मिनों ने ही पूरे विश्व युद्ध की रूपरेखा और जापान की तस्वीर बदल दी थी.

द्वितीय विश्व युद्ध पहली बार परमाणु हमले का गवाह बना था, लेकिन ऐसा क्या हुआ था कि अचानक अमेरिका ने जापान पर दो परमाणु बम गिराए, इस सवाल का जवाब काफी रोचक है और सभी इसे नहीं जानते. परमाणु हमला खुद जापान की उस गलती का नतीजा था जो उसने 7 दिसंबर 1941 को की थी. इसकी बड़ी कीमत उसे चुकानी पड़ी है. चलिए आपको बताते हैं क्या हुआ था 7 दिसंबर 1941 को. विश्व युद्ध का आगाज हो चुका था. दो पक्ष एक दूसरे को घेरने में लगे हुए थे. इस बीच जापान ब्रिटेन के मित्र अमेरिका की ताकत को कम करना चाहता था, ताकि वह ब्रिटेन की मदद न कर सके. इसी इरादे के साथ जापान ने यूएस पेसिफिक फ्लीट (बेड़े) को नष्ट करने का प्लान बनाया. इसके लिए उसने 7 दिसंबर, 1941 को अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर हमला कर दिया. इस हमले में अमेरिका के 2403 सैनिक मारे गए, जबकि 1178 घायल हुए. इसके अलावा अमेरिका के 18 नेवल शिप और 328 अमेरिकी विमान भी जापान के हमले से क्षतिग्रस्त हुए थे. इस हमले के बाद अमेरिका ने भी जापान के खिलाफ युद्ध का ऐलान करते हुए द्वितीय विश्व युद्ध में सीधे तौर पर शामिल हो गया. जापान ने अमेरिका पर यह हमला पूरी प्लानिंग के साथ किया था. 7 दिसंबर, 1941 को सुबह का वक्त था. जापानी सेना के कमांडर मिस्तुओ फुचिदा के नेतृत्व में 183 फाइटर जेट्स ने ओहियो के ईस्ट में तैनात जापान के छह जंगी जहाजों से उड़ान भरी. इसके बाद लेफ्टिनेंट कमांडर शिगेकाजू शिमाजाकी के नेतृत्व में 171 फाइटर जेट्स ने पर्ल हार्बर को निशाना बनाया. जापान ने दो फेज में यह अटैक किया था. उसने फाइटर जेट्स, बॉम्बर्स और टारपीडो मिसाइल्स भी यूज किया.

अमेरिका ने दिया कभी न भूलने वाला जवाब

जापान के हमले से अमेरिका के आठ में से छह जंगी जहाज, क्रूजर, डिस्ट्रॉयर समेत 200 से ज्यादा एयरक्राफ्ट्स नष्ट हो चुके थे. इस हमले की चर्चा हर ओर होने लगी. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने 7 दिसंबर, 1941 को इसे ‘कलंक का दिन’ कहा और 8 दिसंबर 1941 को अमेरिका सीधे तौर पर द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हो गया. इसका बदला लेने के लिए उसने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर ‘एटम बम’ गिरा दिया.

इसलिए हमले के लिए चुना रविवार सुबह का समय

पर्ल हार्बर पर हमले से पहले जापान ने पूरा होम वर्क किया था. जापान की सेना ने जानबूझकर रविवार का दिन चुना. दरअसल, उन्हें यह पता था कि अमेरिका के लोग रविवार को मौज-मस्ती व आराम करने में बिताते हैं. यही वजह है कि हमला सुबह किया गया. पहले जापान की प्लानिंग हमले को तड़के ही करने की थी, लेकिन कोहरे की वजह से सुबह 7:30 बजे इसे अंजाम दिया गया.

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