वाराणसी की तेल कंपनी जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड से कारोबार करने वाले जनपद के करीब 15 व्यापारियों को सीबीआई का नोटिस आ सकता है। हालांकि इनमें से तीन तेल व्यापारियों को नोटिस मिल भी चुका है। सूत्रों के अनुसार, जेवीएल ने इन व्यापारियों को उधार पर तेल देने का दावा किया है। आरोप लगाया कि इन्होंने उधार चुकता नहीं किया, जिसकी वजह से वह दीवालिया हो गई। जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के दीवालिया घोषित होने के कारणों की तलाश केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई (एसीबी) कर रही है। बैंकों का आरोप है कि जेवीएल ने बिना किसी ठोस कारण के बकाया जमा करने से बचने के लिए खुद को दीवालिया घोषित किया है।
सूत्रों के अनुसार, जेवीएल ने जिन-जिन प्रदेशों के थोक तेल कारोबारियों के नाम अपने बकाए में जिक्र किया है, केंद्रीय जांच एजेंसी उनके पास नोटिस भेज रही है। जांच एजेंसी पता लगा रही है कि जेवीएल के दावे में कितनी सच्चाई है। इसी प्रक्रिया में शहर के तीन तेल व्यापारियों के पास नोटिस आया है। करीब 12 व्यापारियों के नाम सीबीआई के पास और हैं। सूत्रों का कहना है कि बनारस की जेवीएल कंपनी ने इन व्यापारियों को उधार पर तेल देने का दावा किया है। आरोप लगाया है कि इन्होंने 15 लाख रुपये से अधिक का तेल उधार लिया, लेकिन एक पैसे का भुगतान नहीं किया। इससे कंपनी को काफी आर्थिक नुकसान हो गया। जेवीएल कंपनी की तरफ से जिन व्यापारियों के नाम लिए गए हैं, उनके व्यापार का पूरा ब्योरा सीबीआई तलाश रही है। अब तक जांच में पता चला है कि जिन व्यापारियों के नाम जेवीएल ने लिए हैं, उनकी फर्मों के नाम जीएसटी रिकार्ड में दर्ज नहीं हैं। सूत्रों ने बताया कि 50 हजार रुपये से अधिक का सामान ट्रांसपोर्ट करने के दौरान ई-वे बिल का उपयोग किया जाता है। इसके बाद सामान और धनराशि का ब्योरा जीएसटी रिकार्ड में आ जाता है। इसी आधार पर उस पर जीएसटी लगती है। सीबीआई सूत्र ने बताया कि शहर की जिन तीन फर्मों को नोटिस दिया गया है, उनमें से एक फर्म ने सभी रिकार्ड सीबीआई की एसीबी में जमा करवा दिए हैं।