
विभागीय कमियों का दंश झेल रही रोडवेज की बसें

जौनपुर धारा, जौनपुर। जौनपुर डिपो से संचालित हो रही बसें भगवान भरोसे ही चल रही है।जिसमें सफर करने वाले यात्रियों की परिचालक से रोज-रोज की नोक-झोक आम बात हो गई है। जौनपुर डिपो की बसों में किराया तो पूरा लिया जा रहा है लेकिन बात सुविधाओं की हो पूरा किराया देने के बाद भी टूटी सीटों पर सफर करना मजबूरी बन जाती है। इन बातों से श्ह स्पष्ट होता है कि उच्चाधिकारियों के तमाम दावों पर जौनपुर डिपों पानी फेरने का कार्य कर रहा है। एक तरफ परिवहन विभाग के मण्डल शीर्ष अधिकारी अपने क्षेत्र में आने वाले सभी डिपो पर निरीक्षण कर खमियों को दुरूस्त करने का निर्देश दें रहें है तो दूसरी तरफ निरीक्षण के बाद व्यवस्थायें जस की तस रह जा रही है।
जौनपुर डिपो के जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए नियमों को ताख पर रखकर खटारा व गन्दी बसों को रोड़ पर चलाकर यात्रियों के जीवन के साथ खेलवाड़ कर रहें हैं। जिसका परिणाम यह है कि तमाम दावों के बाद भी रोड़वेज की खटारा बसों से यात्रियों को निजात नहीं मिल पा रहा है। जौनपुर डिपों के लगभग बसों का यही हाल है, प्रतिदिन हजारों लोग टूटी व फटी सीट और टूटे शीशों वाली बसों में यात्रा करने को मजबूर हैं, तथा बसों में सफाई भी नहीं हो रही हैं। सोमवार को जौनपुर धारा ने कुछ बसों में दिये जाने वाली व्यवस्थाओं को खंगलने की कोशिश की तो परत दर परत खामियां सामने आती चली गई। एक बस में तो यह देखने को मिला कि सीट टूटी-फटी स्थिति में थी और फर्स्ट एड बॉक्स का पता ही नहीं था। सीटों के नीचे गंदगी का अम्बार लगा हुआ था। शासन से सभी बसों से रोज के रोज सफाई के साथ ही मेन्टेनेन्स का खर्च आता है और वे सारे खर्च यात्रियों के जेब से वसूलें जातें हैं। लेकिन यात्रियों को सुविधाओं में किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल रहा है। सोमवार को बडहलगंज से राप्तीनगर जा रही जौनपुर डिपो की यूपी 65 ईटी 9699 बस में सफर के दौरान पाया गया कि बस में 10 से 12 सीटें टूटी हुई थी तथा फर्स्ट एड बॉक्स भी नहीं था। इसी को लेकर यात्री और परिचालक में रास्तेभर नोक-झोक होती रही। यही हाल जौनपुर डिपो के लगभग बसों में है। उच्चाधिकारी भी मामले को तब ही संज्ञान में लेतें है जब इसकी शिकायत होती है और सम्बन्धित बस को दुरूस्त कराकर छूटकारा पा लेतें है। वहीं बस में कुछ यात्री यह भी कहते हुए पाये गये कि जौनपुर डिपो की बसों में सफर करने का दिल नहीं करता है क्योंकि आज तक जितने भी बस में सफर किया सब खटारा ही मिली है। ऐसा नहीं कि चालक-परिचालक डिपो के सीनियर फोरमैन से बसों में आ रही खामियों की डिमाण्ड नहीं करतें लेकिन अधिकारी बजाय दुरूस्त कराने के गाड़ी खड़ी करा लेतें है और फिर कहतें है कि गाड़ी अन्दर खड़ी कर दो जब काम होगा तब गाड़ी जायेगी। बताया जाता है कि जौनपुर डिपो में लगभग 4 जूनियर व एक सीनियर फोरमैन है। इसके बावजूद भी वाहनों की ये दशा जिम्मेदारियों में कामचोरी का प्रत्यक्ष प्रमाण है।हीं हुआ तो किसी दिन बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।