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Homeदेशक्या भारत में हो सकते हैं चीन जैसे हालात?

क्या भारत में हो सकते हैं चीन जैसे हालात?

  • कोविड पैनल के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने किया ये दावा

चीन में हर रोज कोरोना संक्रमण के लाखों मामले सामने आ रहे हैं, व्यवस्थाएं चरमरा सी गई हैं. इसे देखते हुए भारत सरकार अलर्ट मोड पर है. हालांकि अभी देश के हालात चीन के मुकाबले बेहतर हैं. इसके पीछे एक्सपर्ट कई तरह की वजहें बता रहे हैं. इसके साथ ही जानकारों का दावा है कि भारत की स्थिति चीन जैसी नहीं होगी. 

देश के वैक्सीन टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने मंगलवार को बताया कि जिन लोगों को पहले से ही बूस्टर खुराक मिल चुकी है, वे CoWIN पर नेजल वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने लोगों को दूसरा बूस्टर न लेने की चेतावनी दी. डॉ. एनके अरोड़ा ने NDTV को दिए इंटरव्यू के दौरान यह भी बताया कि चीन में टीकाकरण की स्थिति, मामलों की गंभीरता और वहां फैलने वाले प्रकारों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. आंकड़े अब तक साफ़ नहीं हो पाए हैं. गौरतलब है कि इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कोरोना को लेकर सही आंकड़ों को साझा करने की अपील की थी. WHO कहा था कि हमें स्पष्ट जानकारी दी जाए ताकि कोरोना को लेकर उठ रही भ्रांतियों को दूर किया जा सके. डॉ अरोड़ा ने कहा कि चीन की मौजूदा स्थिति हमें हाई अलर्ट पर रहने की सलाह देता है. ऐसी स्थिति भारत में नहीं आनी चाहिए, जहां हम बेबस और लाचार हो जाएं. उन्होंने कहा कि कई कारण हैं जिस वजह से भारत चीन की तुलना में महामारी से लड़ने के लिए बेहतर स्थिति में है. इस दौरान उन्होंने बताया कि इनमें से जो मुख्य कारण है वो है ‘हाइब्रिड इम्युनिटी’, जो वैक्सीन और नेचुरल इम्युनिटी का मिश्रण है. भारतीय लोगों में वैक्सीन की इम्युनिटी के साथ-साथ प्राकृतिक इम्युनिटी भी थी, जिस कारण भारत बेहतर स्थिति में है. उन्होंने कहा कि भारत में 12 साल से कम उम्र के कम से कम 96 फीसदी बच्चे कोविड के संपर्क में आ चुके हैं, जिससे प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है. डॉ. अरोड़ा ने यह भी कहा कि पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स द्वारा mRNA वैक्सीन का ट्रायल अपने अंतिम चरण में है और यह म्यूटेशन की चुनौतियों का मुकाबला करने में एक शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है.

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