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अस्पतालों में तेजी से बढ़ रही RSV संक्रमित मरीजों की संख्या

अमेरिका में इन दिनों बच्चों के अस्पतालों में रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. RSV के बढ़ते मामलों के कारण अस्पलातों में मरीजों की संख्या बढ़ी है. आरएसवी (RSV) एक सामान्य वायरस है, जो मुख्य रूप से सीधे संपर्क या खांसी से फैलता है. यह आमतौर पर हल्के लक्षणों का कारण बनता है, लेकिन छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. अमेरिका के लॉस एजेंल्सि में स्थित एक बच्चों के अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स के मुताबिक, उन्होंने आरएसवी मामलों की इतनी अधिक संख्या कभी नहीं देखी है. नर्स ने अल जजीरा न्यूज को बातचीत में बताया कि आरएसवी मामलों में उछाल से पहले ही स्टाफ की कमी के कारण अस्पताल का आईसीयू पहले से ही दबाव में था. आईसीयू में नर्सों के पास अधिकतम दो रोगी हो सकते हैं, यूनिट में 24 बिस्तर होते हैं. कई बार उन्हें भरे हुए बिस्तरों की संख्या को 20 तक सीमित करना पड़ता है क्योंकि वहां पर पर्याप्त कर्मचारी नहीं होते हैं. नर्स ने कहा कि अब आरएसवी मामलों के बढ़ने की वजह से इमरजेंसी रूम से आने वाले गंभीर ट्रामा मरीजों के लिए पर्याप्त विग्गल रूम रखना बड़ी चुनौती है. इससे पहले सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या 50 से 60 फीसदी रहती थी, लेकिन इस साल इनके 70 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. कोविड महामारी शुरु होने के बाद बढ़ते काम के दबाव की वजह से मानसिक तनाव और बीमारी ने बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों को नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. बता दें कि आरएसवी के लिए कोई टीका नहीं है, अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने घोषणा की है कि वह साल के अंत तक यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को एक अप्रूवल सबमिट करेगी. वैक्सीन गर्भवती महिलाओं को दी जाएगी, जो बाद में अपने शिशुओं को एंटीबॉडी पास करेगी. इसके अलावा सिएटल चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक्स के एक प्रोफेसर और एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ जेनेट एंगलंड ने अल जज़ीरा को बताया कि उनका अस्पताल भी आरएसवी वैक्सीन के विकास की दिशा में अनुसंधान में योगदान दे रहा है. वैक्सीन के 2023 या 2024 तक बुजुर्ग और हाई रिस्क वाले मरीजों के लिए उपल्ब हो सकता है. आरएसवी की रोकथाम के लिए इंग्लैंड और अन्य विशेषज्ञ बीमार होने पर मास्क पहनने या घर पर रहने की सलाह देते हैं, ताकि दूसरों की सुरक्षा की जा सके और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर दबाव कम किया जा सके. इसके अलावा सलाह दी जाती है कि लोग अपने हाथ धोते रहें. बीमार महसूस होने पर सामाजिक समारोहों का स्थगित करें और मास्क पहने.

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