
जौनपुर धारा, जौनपुर। धर्मापुर गांव के कुरेथूं गांव निवासी सूरज कुमार यादव का चयन डीआरडीओ में वैज्ञानिक के पद पर होने से क्षेत्र में हर्ष व्याप्त रहा। सूरज का परिवार शुरू से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, फिर भी सूरज नें कभी अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं किया। 10वीं और 12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बाद, उन्होंने जेईई मेन्स और जेईई एडवांस की तैयारी का संकल्प लिया। उन्होंने दोनों परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की और देश की प्रतिष्ठित संस्थान एनआईएफएफटी रांची से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक के बाद सूरज ने गेट परीक्षा में भाग लिया और आल इंडिया 10वीं रैंक प्राप्त की, लेकिन आर्थिक चुनौतियों के कारण उन्हें भारत फोर्ज में एक वर्ष के लिए काम करना पड़ा ताकि अपने परिवार पर चढ़ा कर्ज चुकाया जा सके। इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर भी काम किया। एक वर्ष की मेहनत के बाद सूरज ने आईआईटी बाम्बे में मटेरियल साइंस में मास्टर्स कार्यक्रम में प्रवेश लिया। सूरज का उद्देश्य था भारत के रक्षा क्षेत्र में अपना योगदान देना। इसके लिए उन्होंने डीआरडीओ में वैज्ञानिक बनने की दिशा में कदम बढ़ाया, और एक साक्षात्कार के बाद उनका चयन 31 अक्टूबर को घोषित हुये परिणामों में वैज्ञानिक के रूप में हुआ। सूरज का लक्ष्य एक ऐसा मैटेरियल डिजाइन करना है जो न केवल लागत प्रभावी हो, बल्कि भारतीय सैनिकों की सुरक्षा को भी बढ़ाए। उनका मानना है कि इस तरह की सामग्री का विकास करके वह उन बहादुर सैनिकों की रक्षा में योगदान दे सकते हैं। जो हमारे देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं। सूरज ने बताया कि उनके संघर्ष और उनकी सफलता का श्रेय उनके परिवार, खासकर उनके दादा को जाता है, जो एक ऑटो चालक हैं और जिन्होंने हमेशा उन्हें शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया।