जौनपुर धारा, जौनपुर। पूर्वांचल पुरातन छात्र संगठन इंटरनेशनल अफेयर द्वारा आयोजित आमंत्रित व्याख्यान में तारतू विश्वविद्यालय इस्टोनिया एवं कल यूनिवर्सिटी बेल्जियम के वैज्ञानिक डॉक्टर अजय पाठक ने अपने विचार व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि मानव अप्रâीका में विकसित होने के बाद उनकी एक शाखा 70000 साल पहले भारत में आए जो अंडमान निकोबार में स्थापित हो गए उसके उपरांत भारत एवं साउथ एशिया में फैल गए। दूसरी शाखा अप्रâीका से होते हुए यूरोप में तथा रूस तक फैल गए। सिंधु घाटी सभ्यता के समय विभिन्न जनजातियों के सिंधु एवं आसपास में अपनी पारिस्थितिकी हिसाब से विकसित होते गए। उन्होंने कहा कि सिंधु घाटी के डीएनए का लगभग 99ज्ञ् पूरे भारतवासियों के डीएनए से मैच करता है। जबकि भारत के विभिन्न भागों में जो भी विभिन्नताएं हैं वह पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकी कारक है। विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो राजेश शर्मा ने डॉ.अजय पाठक को व्याख्यान के लिए धन्यवाद प्रस्तावित किया। इस अवसर पर प्रोफेसर प्रदीप कुमार, डॉ.मनीष गुप्ता, डॉ.एसपी तिवारी एवं व्याख्यान संयोजक डॉ.संजीव कुमार मौर्य समेत विज्ञान संकाय के विद्यार्थी उपस्थित थे।