- सौंदर्यीकरण कार्य के कौन सी खामी है को दबाने की जा रही कोशिश
जौनपुर धारा,जौनपुर। पत्रकार के सवाल पूछे जाने पर राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव द्वारा देख लेने और दौ कौड़ी के जैसे शब्दों का इस्तेमाल किये जाने की चहुंओर चर्चा है। सोशल मीडिया के माध्यम से उनके इन अपमानजनक शब्दों को प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लोगों ने सुना। मीडिया में ये खबरें लगातार चल रही हैं। सवाल ये है कि क्या पत्रकार किसी मंत्री या विधायक से विकास कार्यों को लेकर सवाल नहीं कर सकता। पत्रकार का काम ही है कि वो अपने समाचार पत्रों व न्यूज चैनलों के माध्यम से क्षेत्र की समस्याओं को उठाए और जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों का ध्यान उस समस्या की तरह आकृष्ट करे। ताकि जनता को उस समस्या से राहत मिल सके। क्योंकि पत्रकार की एक ऐसा माध्यम है जो सरकार की योजनाओं को जनता तक और जनता के समस्याओं का दर्द शासन तक पहुँचाने का कार्य करता है। लेकिन अब पत्रकार के इस स्वतंत्रता पर राज्यमंत्री का भड़कना कई और सवाल खड़े कर रहा है।
बुधवार को भाजपा के सदस्यता अभियान की प्रेस काप्रâेंस में इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार राजकुमार सिंह द्वारा राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव से नगर में बिछाई जा रही सीवर पाइप लाइन, रिवर प्रâंट और चौकिया धाम के सौंदर्यीकरण के बारे में सवाल किया तो वह भड़क उठे। उन्होंने पत्रकार को दो कौड़ी के और देख लेने तक की धमकी दे डाली। अब सवाल ये है कि क्या पत्रकार मंत्री से विकास कार्यों के सम्बन्ध में सवाल नहीं कर सकता? आखिर क्यूं पत्रकारों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है? आखिर विकास कार्य कराए जाने का सवाल राज्यमंत्री को क्यूं चुभ रहा है? क्यूं वो पत्रकार के सवाल का सही जवाब नहीं दे रहे हैं? सीवर पाइप और चौकिया धाम के सौंदर्यीकरण के कार्य में ऐसी कौन सी खामियां रह गई है जिस पर मंत्री जी जवाब देने से कतरा रहे हैं? प्रदेश सरकार के एक जिम्मेदारी वाले पद पर बैठ कर एक पत्रकार के लिए ऐसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने की छूट उन्हें किसने दी? ऐसे कई और सवाल भी है जो उनके कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। पत्रकार वार्ता में गिरीश यादव के अलावा पूर्व लोकसभा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह, भाजपा नेता ओमप्रकाश सिंह और जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह भी मौजूद थे इसके बावजूद भी एक पत्रकार के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। किसी ने उन्हें रोका भी नहीं की मंत्री जी एक पत्रकार के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल मत कीजिए। पत्रकार चौथे स्तम्भ का एक हिस्सा है। पत्रकार को सच दिखाने और विकास कार्यों पर सवाल करने का हक है। विकास कार्यों में अगर कोई खामी रह गई है तो पत्रकार सम्बन्धित विधायक या मंत्री से सवाल पूछ सकता है। लेकिन अगर ऐसे ही पत्रकारों को प्रदेश सरकार के जिम्मेदारी भरे पद पर बैठे मंत्री द्वारा खुलेआम धमकी दी जाने लगेगी और उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी तो भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच जाएगा। ये अलग बात है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पत्रकारों की सुरक्षा और उनके सम्मान की बातें कई बार कही गई है। फिलहाल विकास कार्यों पर पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल पर मंत्री द्वारा आपा खो बैठना कहीं न कहीं नगर के विकास कार्यों को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा करता है। पत्रकारों की आवाज को दबाया जाना इसका जीता जागता उदाहरण है।