- श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध कर्म करके परिवार की सुख-समृद्धि की कामना
जौनपुर धारा, जौनपुर। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन बुधवार को तर्पण व पिण्डदान के साथ पितरों को विदाई की गई। इसके साथ ही घरों में बने भोजन सर्वप्रथम पूर्वजों के नाम पर निकालकर वंशजों ने श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध कर्म करके परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। इसके पूर्व 15 दिनों तक पितृपक्ष में तर्पण व पितरों से संबंधित तिथि विशेष के दिन उनके निमित्त श्राद्ध कर्म व तर्पण का क्रम चलता रहा। पितृ विसर्जन को लेकर नगर के हनुमान घाट पर गोमती नदी के किनारे जुटे श्रद्धालुओं ने आचार्यों की देखरेख में विधि-विधान के साथ पितरों को पिडदान कर उनकी मुक्ति व परिवार की खुशहाली की कामना की। इसके बाद ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान भी दिया गया। इस दौरान पितरों की आस्था में उनके लिए तर्पण किया। घर में तरह-तरह के व्यंजन बनाकर गाय और कौओं को खिलाया। शहर के हनुमान घाट के अलावा विभिन्न सार्वजनिक स्थानों तथा जलाशयों के निकट यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। गांवों में भी लोगों ने क्षौर कर्म के बाद विधिवत पितरों को विदाई दी। हिन्दू मान्यता के अनुसार पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन धरती पर आए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है। पूरे पितृ पक्ष में पितरों को याद न किया गया हो तो अमावस्या को उन्हें याद करके दान किया जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है। मान्यता है कि इसदिन सभी पितर अपने परिजनों के घर के द्वार पर बैठे रहते हैं। पितरों को जल देते वंशों ने पहले अपने गोत्र का नाम लिया इसके बाद तर्पण किया। पितरों की स्मृति में एक पखवाड़ा से चल रहे दान, ध्यान एवं पूजन के इस पर्व के अंतिम दिन संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी। साधकों ने पितृ विसर्जन के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, तिलाजलि देकर पुरखों की आत्मशाति की कामना करते हुए उन्हें विदाकर आशीर्वाद की कामना की। पूजन-तर्पण एवं दान का ाfसलसिला चलता रहा।