
जौनपुर धारा, खुटहन। शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो जितना पीता है, वह उतना ही दहाड़ता है। संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अम्बेडकर के इस विश्व प्रसिद्ध कथन को चरितार्थ किया है।एक किसान परिवार में जन्मे अदभुत प्रतिभा के धनी डॉ.योगेश यादव ने अपने कठिन परिश्रम की बदौलत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक विशेष मुकाम हासिल किया है। उनका चयन इलाहाबाद डिग्री कॉलेज प्रयागराज में बतौर सहायक प्रोफेसर के पद पर हुआ है। जैसे ही यह खबर उनके गांव पहुंची। वहां खुशियां ही खुशियां छा गई। सभी ने डॉ योगेश को बधाई दी। कहते हैं अगर मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो लाख मुश्किलों के बावजूद मंजिल मिल ही जाती है। डॉ.योगेश ने वह कर दिखाया है। इलाहाबाद डिग्री कॉलेज ने डॉ.योगेश को जॉइनिंग लेटर भेजकर यह खुशखबरी दी है। डॉ.योगेश जिले के खुटहन ब्लॉक के एक छोटे से गांव सुईथा खुर्द (बड़ी खेतार) के रहने वाले हैं। इनके पिता स्व त्रिलोकीनाथ यादव एक किसान थे। माता गृहिणी है। योगेश ने इंटरमीडिएट ग्राम विकास इण्टर कॉलेज खुटहन, बीए की शिक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पूरी की। इतिहास विषय से एमए जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में पास की। इसके बाद डेक्कन विश्वविद्यालय पुणे से पीएचडी की उपाधि हासिल की। वहीं से उन्होंने आर्कियोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स भी किया। नेट जेआरएफ की कठिन परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया। इससे पहले कश्मीर विश्वविद्यालय में वह आर्कियोलॉजी विभाग में बतौर लेक्चरर पद पर तैनात थे। जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डॉ योगेश की सफलता की चर्चा आज घर-घर में हो रही है। अपनी सफलता का श्रेय योगेश अपने पिता, माता, अपने परिजन व शिक्षकों व सहपाठियों को देते हैं।