भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं. विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने मंगलवार (6 दिसंबर) को कहा है कि भारत 10 साल पहले की तुलना में अब अधिक मजबूत है. पिछले 10 सालों में उठाए गए सभी कदम भारत को वैश्विक विपरीत दिशा में नेविगेट करने में मदद कर रहे हैं.
वर्ल्ड बैंक ने भारत में मजबूत आर्थिक गतिविधियों के कारण अपने 2022-23 के सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को संशोधित कर 6.5% से 6.9% कर दिया है. विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने कहा कि इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि दो साल की अवधि के अंत में भारत उसी स्थिति में होगा जैसा हमने पहले भविष्यवाणी की थी. विश्व बैंक ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल अपने उभरते बाजार समकक्षों की तुलना में वैश्विक विपरीत परिस्थितियों को संभालने के लिए बेहतर स्थिति में है, बल्कि यह पिछले संकटों की तुलना में तेजी से कोविड-19 महामारी के झटकों से भी उबरी है. विश्व बैंक ने अपने नवीनतम भारत विकास अपडेट में ‘नेविगेटिंग द स्टॉर्म’ शीर्षक से चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि 6.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो सितंबर के अंत में वर्ष के लिए अनुमानित 6.5 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है.
अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने के प्रयास जारी
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर अगस्टे तानो कोउमे ने कहा कि भारत बहुत महत्वाकांक्षी है. सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई काम किए हैं और अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने के लिए बहुत प्रयास कर रही है. हालांकि, प्रतिकूल वैश्विक विकास जारी रहने के कारण निरंतर सतर्कता की आवश्यकता है.
भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन में सुधार
रिपोर्ट में कहा गया है कि मैक्रोइकोनॉमिक पॉलिसी के दो मुख्य लीवर – राजकोषीय और मौद्रिक नीति ने पिछले साल उभरी चुनौतियों के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई है. आरबीआई (RBI) ने अपनी उदार मौद्रिक नीति को “नपे-तुले दृष्टिकोण” से वापस ले लिया क्योंकि यह आर्थिक विकास को समर्थन प्रदान करते हुए मुद्रास्फीति को कम करने की जरूरत को संतुलित करता है. अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ सालों में बनाए गए कई ‘पॉलिसी बफ़र्स’ (Policy Buffers) ने बाहरी झटकों के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) के लचीलेपन में सुधार किया है.