उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक ऐसा स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है जो दिन में तीन बार रंग बदलता है. साथ ही यह भी मान्यता है कि इस शिवलिंग को कोई भी गले नहीं लगा सकता. यदि वह महादेव से प्रार्थना कर उनकी अनुमति लेकर ऐसा करता है तो वह स्वयंभू को गले लगा सकता है. इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी यहां पर आकर सच्चे मन से शिवलिंग की पूजा-अर्चना कर मनोकामना मांगता है, भगवान शिव उसकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं. हरदोई जनपद के मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर थाना बेहटा गोकुल क्षेत्र के अंतर्गत सकाहा गांव में भगवान भोलेनाथ की स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. यहां जिस शिवलिंग को श्रद्धालु पूजते हैं, वह दिन में तीन बार रंग बदलता है. स्वयंभू शिवलिंग सुबह को काले, दोपहर को भूरे व शाम को नीले रंग में परिवर्तित हो जाते हैं.
घमंड में आकर शिवलिंग को नहीं लगा सकते गले
मान्यता ये भी है कि श्री शिव संकट हरण मंदिर में अगर कोई व्यक्ति कहता है कि मैं स्वयंभू शिवलिंग को गले लगा सकता हूं तो ईश्वरीय शक्ति के कारण उस व्यक्ति का घमंड चूर हो जाता है. वहीं अगर कोई व्यक्ति उनसे विनती कर अनुमति लेकर उन्हें गले लगाता है, तो वह आसानी से शिवलिंग को गले लगा सकता है.
शिवलिंग का नहीं है कोई छोर
हरदोई के श्री संकट हरण मंदिर में स्थापित शिवलिंग का छोर ढूंढने का कई बार प्रयास किया गया, मगर असफलता हाथ लगी.
जंगल मे दिखी थी शिवलिंग
बेहटा गोकुल क्षेत्र के सकाहा के जंगल मे वर्षों पहले दिखी इस शिवलिंग को किसी शख्स के द्वारा छोटी सी मठिया के रूप में मनोकामना पूरी होने पर बना दी गई थी. बाद में देश के आजाद होने के बाद इस मंदिर का निर्माण स्थानीय लोगों व तत्कालीन थाने पर नौकरी करने वाले दरोगा की मदद से कराया गया. जो कोई यहां आकर मंन्नतें मांगता है उसकी कामना पूरी होती है.