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स्टेट विजिलेंस के माध्यम से की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाही से बिजली कर्मियों में फूटा गुस्सा

  • चेतावनी सभा में बिजली कर्मियों ने लिया सामूहिक जेल भरो का संकल्प

जौनपुर। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर प्रदेश भर में बिजली कर्मियों ने पॉवर कारपोरेशन में लागू आपातकाल के विरोध में समस्त जनपदों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में सभा कर चेतावनी दिवस मनाया। वक्ताओं ने पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन को चेतावनी दी कि उत्पीड़न, दमन और झूठे आंकड़ों के दम पर बिजली का निजीकरण नहीं होने दिया जायेगा। चेतावनी सभा में बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में सामूहिक जेल भरो अभियान चलाने का संकल्प लिया। संघर्ष समिति ने स्टेट विजिलेंस के माध्यम से संघर्ष समिति के शीर्ष पदाधिकारियों का उत्पीड़न किये जाने की घोर भर्त्सना करते हुए पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ.आशीष गोयल की परिसम्पत्तियों की विजिलेंस से जांच कराये जाने की मांग की। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन द्वारा उत्पीड़न की दृष्टि से हजारों ट्रांसफर किये गये, संविदा कर्मियों को निकाला गया और कर्मचारी सेवा नियमावली में अलोकतांत्रिक संशोधन कर बिना जांच और बिना सफाई का अवसर दिये सेवा से बर्खास्त करने का तानाशाहीपूर्ण संशोधन किया गया। इन सबसे बिजली कर्मियों को डराने में असफल रहने पर चेयरमैन ने अब स्टेट विजिलेंस के जरिये एफआईआर कराने का रास्ता निकाला है जिससे बिजली कर्मियों में उबाल आ गया है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ.आशीष गोयल की जयपुर, रानीखेत, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, मथुरा के मकानों, जमीन और अन्य परिसम्पत्तियों की निष्पक्ष विजिलेंस जांच करायी जाये। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, चंद्र भूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आर.वाई.शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, आर.बी.सिंह, मो.वसीम, मायाशंकर तिवारी, रामचरण सिंह, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी सहित आदि ने बताया कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने बड़े पैमाने पर मनमाने ढंग से स्थानान्तरण कर बिजली कर्मियों का उत्पीड़न किया। चेयरमैन के निर्देश पर अत्यन्त अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मियों की छंटनी की जा रही है और फेसियल अटेंडेंस के नाम पर उनका वेतन काटा जा रहा है। संघर्ष समिति ने बताया कि 22जून की बिजली महापंचायत से बौखलाये पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन और शासन के कुछ अधिकारियों ने मिली भगत कर स्टेट विजिलेंस के माध्यम से संघर्ष समिति के कुछ बड़े पदाधिकारियों पर एफ आई आर दर्ज करायी है। एफआईआर के माध्यम से बिजली कर्मियों को डराने और उत्पीड़न की कार्यवाही के पीछे केवल निजीकरण है।

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