Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img
Homeअपना जौनपुरसंगत पंगत ने मनाया भारत के प्रथम राष्ट्रपति जयंती

संगत पंगत ने मनाया भारत के प्रथम राष्ट्रपति जयंती

जौनपुर धारा, जौनपुर। संगत पंगत संगठन द्वारा भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती धूमधाम से मनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव हैप्पी ने किया। संचालन महामंत्री सुलभ श्रीवास्तव ने किया। सर्वप्रथम सभी लोगों ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। संगत पंगत के प्रदेश सहसंयोजक राजेश श्रीवास्तव बच्चा भइया एडवोकेट ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने देश की आजादी व भारतीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई व देश के प्रथम राष्ट्रपति बने। संरक्षक बजरंग प्रसाद ने कहा कि उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। कायस्थ कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. अशोक अस्थाना ने कहा कि राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 में कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था। कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष शिव मोहन श्रीवास्तव नबाब ने कहा कि सम्मान से उन्हें प्राय: ‘राजेन्द्र बाबू’ कहकर पुकारा जाता है। राजेन्द्र बाबू का जन्म 3 दिसम्बर 1884 को बिहार के तत्कालीन सारण जिले (अब सीवान) के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था। संरक्षक राकेश श्रीवास्तव पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि राजेन्द्र प्रसाद के पूर्वज मूलरूप से कुआँगाँव, अमोढ़ा (उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। यह एक कायस्थ परिवार था। दीवानी अधिवक्ता संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि पाँच वर्ष की उम्र में ही राजेन्द्र बाबू ने एक मौलवी साहब से फारसी में शिक्षा शुरू किया। उसके बाद वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए छपरा के जिला स्कूल गए। जिलाध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव हैप्पी ने कहा कि राजेन्द्र बाबू का विवाह उस समय की परिपाटी के अनुसार बाल्यकाल में ही, लगभग 13 वर्ष की उम्र में राजवंशी देवी से हो गया। संगत पंगत के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विश्व प्रकाश श्रीवास्तव दीपक पत्रकार ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनका पदार्पण वकील के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत की। महिला जिलाध्यक्ष डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव ने कहा कि राजेंद्र बाबू तो अपने पुत्र मृत्युंजय प्रसाद जो एक अत्यंत मेधावी छात्र थे, उन्हें कोलकाता विश्वविद्यालय से हटाकर बिहार विद्यापीठ में दाखिल करवाया था। उन्होंने ‘सर्चलाईट’ और ‘देश’ जैसी पत्रिकाओं में इस विषय पर बहुत से लेख लिखे थे। संरक्षक दयाल सरन श्रीवास्तव ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय महत्वपूर्ण योगदान रहा। उक्त अवसर पर कर्मचारी नेता विकास भवन राजीव कुमार श्रीवास्तव रोशन, कोषाध्यक्ष शरद श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष अजय वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत पंकज श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव मोदी, प्रभात कुमार, प्रदीप श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

Share Now...