- 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने किया था कब्जा
- अब तक के कई सांसदों से नाखुश रही है जौनपुर की जनता
- हमेशा से चौकाने वाला रहा जौनपुर का परिणाम
जौनपुर धारा,जौनपुर। जौनपुर दो लोकसभा नौ विधानसभा वाला जिला है, जहाँ जौनपुर सीट के चुनाव परिणाम हमेशा से राजनीतिक पंडितों को चौंकाते रहे हैं। मूली-मक्के की खेती, इत्र उद्योग और इमरती की पहचान वाला जौनपुर विकास में भले ही पिछड़े जिलों में शुमार है लेकिन पलायन कर माया नगरी यानी मुंबई पहुंचे जौनपुरियों द्वारा खड़ा किया गया साम्राज्य देखते ही बनता है। इस सीट पर जाति का गणित ज्यादा महत्वपूर्ण रहता है। जहाँ जातीय गणित की बात आती है तो स्थानीय मुद्दे गायब हो जाते हैं। जौनपुर सीट भाजपा के साथ ही विपक्ष के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। 2019 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद जौनपुर की इस सीट भाजपा नाकाम रही। जिसका कारण यह भी माना जा रहा है कि 2014 लोकसभा सांसद रहे कृष्ण प्रताप सिंह क्षेत्र की जनता का दर्द बाट पाने में विफल साबित रहें, उनका रण से बाहर होना इसका विशेष कारण माना जाता रहा है। जिसके बाद जनता ने केपी.सिंह पर विश्वास नहीं किया और सपा-बसपा गठबन्धन वाले प्रत्याशी को जीत का तमगा देकर सदन भेजा था, लेकिन क्षेत्रिय मतदाताओं का अपने जनप्रतिनिधि के लिये दर्द वही रहा। उनका आरोप है कि ऐसे सांसद को चुन कर क्या फायदा जो जीत के बाद क्षेत्र की जनता को भुल जाये। वहीं इस बार भी भाजपा के प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह के लिये भी कुछ ऐसी ही चर्चाएं सामने आ रही है। जनपद में रहकर जनता की सेवा न कर पाना एक अलग बात है लेकिन जिसका जनपद में बसेरा ही नहीं रहा है वह जनता की सेवा कैसे कर पायेगा यह एक बड़ा विषय है।
ज्ञातव्य हो कि जौनपुर सीट से बसपा के श्याम सिंह यादव ने 521128 वोट पाकर चुनाव जीत लिया था। जबकि भाजपा के कृष्ण प्रताप सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष 2014 के चुनाव में उत्तर प्रदेश राज्य में जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से कृष्ण प्रताप को सदन भेजा गया था। उन्हें 367149 वोट मिले थे, उन्होंने बसपा के सुभाष पांडेय को 146310 वोटों से हराया। 2014 में कुल 54.48 प्रतिशत वोट पड़े। वहीं इस बार के चुनाव परिणाम भी समझ से परे है। भाजपा ने पहले ही कृपाशंकर सिंह पर मुहर लगा दिया था और सभी प्रमुख पार्टी के उम्मीदवार मैदान में डट गयें है। सपा-कांग्रेस साथ मिलकर अपने जिताऊ प्रत्याशी की तलाश बाबू सिंह कुशवाहा के रूप में कर ली है। पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की जिन सीटों पर भाजपा को हार का झटका लगा था उसमें जौनपुर लोकसभा सीट भी शामिल थी। वहीं धनंजय के जेल जाने के बाद भी चर्चा में तेजी के दौरान उनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला रेड्डी को बसपा से हरी झण्डी के बाद से ही उनकी भी तैयारी तेज हो गई है। वहीं जौनपुर की राजनीति में कई बार निर्दलीय रूप में शिकस्त खाये अशोक सिंह भी खुद की पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, हालांकि जौनपुर के लिये अशोक सिंह भी पूराने चेहरों में से एक है। कई चुनाव हारने के बाद भी जौनपुर की धरती को अपना कर्मभुमि बनाने के लिये जूझ रहें हैं। इस सभी बयारों के बीच परिणाम की बात करें तो जौनपुर की जनता ने हमेशा से उम्मीद से अलग परिणाम दिया है। जिससे जौनपुर की राजनीति के पंडितों को चौकना पड़ा है। क्षेत्र की रूझान माने तो जनता अपनी वाणी से कुछ नहीं कह रही है लेकिन यह भी एहसास होता है कि परिणाम जो भी हो चौकाने वाला ही होगा। जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भले ही सबसे अधिक है पर अब तक इस सीट पर राजपूतों का ही दबदबा रहा है।
- पिछले चुनावों के परिणाम
- 2019 श्यामसिंह यादव बसपा 5,21,128, कृष्ण प्रताप सिंह ‘केपी’ भाजपा 4,40,192, देवव्रत मिश्रा कांग्रेस 27,185
- 2014 कृष्ण प्रताप सिंह ‘केपी’ भाजपा 3,67,149, सुभाष पांडेय बसपा 2,20,839
- 2009 धनंजय सिंह बसपा 3,02,618, पारसनाथ यादव सपा 2,22,267
- 2004 परसनाथ यादव सपा 2,19,614, ओम प्रकाश दुबे(बाबा दुबे) बसपा 1,92,489 1999 चिन्मयानंद भाजपा 2,07,405, पारसनाथ यादव सपा 1,98,770