- मुल्क में अमन व शांति के लिये रोज़ेदारों ने अल्लाह के सामने पसारा हाथ
जौनपुर धारा, जौनपुर। पवित्र माह रमज़ान के पहले जुमा की नमाज़ शहर भर में लाखों मुसलमानों ने विभिन्न मस्जिदों में अदा की। इस अवसर पर ऐतिहासिक शाही अटाला मस्जिद में हज़ारों मुसलमानों को खेताब करते हुए मौलाना आ$फा$क अहमद ने कहा कि अल्लाह ने रोज़ा हमारे ऊपर इस लिये $फज़र् किया है कि ताकि हम परहेज़गार बन जाएं गुनाहों को छोड़ दें अगर रोज़े की हालत में हम गुनाह करते हैं। तो हमारे रोज़े को अल्लाह को कोई ज़रूरत नहीं है, उन्होंने ज़$कात एवं फितरा के बारे में भी विस्तार से बताया। उसके बाद शाही अटाला मस्जिद में जुमा की नमाज़ मौलाना सबील ने अदा कराई। शाही जामा मस्जिद(बड़ी मस्जिद) में मौलाना खुसैमा मुल्ला टोला ने जुमे की नमाज़ अदा कराई उसके पहले उन्होंने बताया की रोज़ेदारों को चाहिए कि वह अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों में उन लोगों का भी ख्याल रखें जो कि $गरीबी की वजह से रमज़ान में परेशान नज़र आते हैं। मरकज़ी सीरत कमेटी के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन एडवोकेट ने बताया कि सभी मस्जिदों मे अ$िकदत के साथ जुमे की नमाज़ अदा की गयी उन्होंने बताया कि आज पवित्र रमज़ान के पहले जुमे की नमाज़ के अवसर पर लाखों मुसलमान मस्जिदों में एक हुए जहां पर नमाज़ के बाद मुल्क में अमन व शांति की दुआएं भी मांगी गई। इसके अतरिक्त शहर की चहारसु मस्जिद,ज़हांगीराबाद मस्जिद, खान$काह रशीदिया, शिया जामा मस्जिद, शाहीपुल मस्जिद, मदीना मस्जिद, शाही $िकला मस्जिद, झंझरी मस्जिद, लाल मस्जिद हनुमान घाट, शाही लाल दरवाज़ा मस्जिद, आलम मस्जिद, सब्जी मण्डी मस्जिद, आया मस्जिद, ज़$करिया मस्जिद, गौशाला मस्जिद समेत सभी जुमा मस्जिदों मे अलग-अलग समय पर जुमा की नमाज़ अ$कीदत के साथ अदा की गयी।
सब्र और खुदा की इबादत का महीना रमज़ान
जौनपुर धारा, जौनपुर। रमज़ान सब्र और खुदा की इबादत का महीना है, इस महीने की हर घड़ी को समझें और अपनी जि़न्दगी को बेहतर बनाने की कोशिश करें। दुआओं और रूहानी माहौल के साथ खत्म हुई नमाज़-ए-जुमा नमाज़-ए-जुमा के बाद मस्जिद में मौलाना महफूजुल हसन खां साहब ने आखिर में तमाम मोमिनों से गुज़ारिश की कि वे इस महीने को ज्यादा से ज्यादा इबादत और नेकियों में बिताएं। उन्होंने कहा, एक रूहानी माहौल देखने को मिला। मोमिनों ने अल्लाह की बारगाह में सजदा किया और अपनी मुरादें मांगीं। रमज़ान का यह पहला जुमा मोमिनों के लिए न सिर्फ एक इबादत का जरिया बना, बल्कि उन्हें अपनी जि़न्दगी को बेहतर बनाने की सीख भी दे गया। मस्जिद के जिम्मेदारों ने बताया कि पूरे रमज़ान भर इबादतों और मजलिसों का सिलसिला जारी रहेगा, और मोमिनों को दीनी तालीम से जोड़ने की कोशिश की जाएगी।