मलेशिया में अब जोड़तोड़ वाली सरकार बनने के आसार नजर आ रहे हैं. दरअसल यहां हुए आम चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत हासिल होता नजर नहीं आ रहा है. इस चुनाव में विपक्षी दलों का नेतृत्व अनवर इब्राहिम कर रहे थे, जबकि उनके सामने पूर्व पीएम मुहयिदीन यासिन की अगुवाई वाला गठबंधन था. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला तो हुआ, लेकिन इतनी सीटें किसी को भी इतनी सीटें नहीं मिली हैं कि वो सरकार बना सके. चुनावी सर्वों में भी अनवर इब्राहिम के गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं. हालांकि सर्वों में भी त्रिशंकु संसद के आसार जताए गए थे. सत्तारूढ़ यूनाइटेड मलयेज नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (यूएमएनएल) को जनता ने बुरी तरह से नकार दिया है. प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकूब अपने पारंपरिक गढ़ में ही पिछड़ गए. उनके गठबंधन को मात्र 30 सीटें ही मिली हैं.
अल ज़जीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुहयिदीन यासिन गठबंधन से अनवर इब्राहिम के गठबंधन के बीच कांटे का संघर्ष देखने को मिला. अनवर के एलायंस ऑफ होप गठबंधन ने 222 सदस्यीय संसद में 82 सीटें हासिल कीं, जबकि पूर्व प्रधान मंत्री मुहीदीन यासिन के नेतृत्व वाला नेशनल एलायंस 73 सीटों के साथ पिछड़ गया है. दो सीटों पर चुनाव नहीं हुआ था, जबकि खबर लिखे जाने तक एक सीट के नतीजे घोषित नहीं किए गए थे. मलेशिया के सबसे अनुभवी नेता महाथिर मोहम्मद 53 सालों में अपनी पहली चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. वे अपनी पारंपरिक सीट लैंगकावी के हॉलीडे रिसॉर्ट द्वीप पर चौथे नंबर पर रहे. सबसे बड़े उलटफेरों में प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकूब अपने पारंपरिक गढ़ में ही पिछड़ना शामिल है. बता दें कि 1957 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद बारिसन नेशनल गठबंधन ही देश की सत्ता में काबिज रहा है. 2014 में भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसने के हाद 2018 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में अनवर का गठबंधन जीता था. चुनावों के बाद भ्रष्टाचार के मामलों में यूएमएनओ के कई नेताओं को जेल जाना पड़ा था.