मेरठ. कहते हैं संघर्ष से ही सफलता मिलती है. संघर्ष आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट रिजल्ट में कई ऐसी प्रेरक बच्चे हैं जिन्होंने अभाव में पढ़ाई की और आज कामयाबी उनके कदम चूम रही है. मेरठ के रहने वाले टीकम सिंह (एक दिहाडी़ मजदूर) के बेटे की कहानी ममस्पर्शी है. रोजाना चंद रुपए कमाने वाला दिहाड़ी मजदूर का बेटा, कामयाबी की कहानी अपनी मेहनत और लगन से लिख रहा है. उन्होंने कहा कि बड़ा बेटा विकास कुमार भी 2018 में स्कूल के टॉपर्स की लिस्ट में था. निखिल ने बताया कि पापा का नाम रोशन करना है.
कंकरखेड़ा स्थित टीकाराम कॉलोनी निवासी टीकम सिंह मजदूरी करते हैं. उनके दोनों बेटों ने समाज में उनका नाम रोशन कर दिया है. छोटा बेटा निखिल कुमार एसडी सदर में पढ़ता है. निखिल ने इंटर में 88 फीसदी अंक हासिल किए, तो पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. निखिल कहते हैं कि नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. अच्छा डॉक्टर बनने का सपना है. वहीं उनके भाई विकास का सपना सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करना है. कई अन्य प्रेरक कहानियां हैं. सनातन धर्म इंटर कॉलेज सदर के हाईस्कूल के छात्र तनिश पाल ने 91 प्रतिशत अंक हासिल कर विद्यालय में अव्वल स्थान प्राप्त किया है. माता का नाम गीता पाल है. पिता संजय पाल आबूलेन स्थित हार्डवेयर की दुकान में हेल्पर का काम करते हैं. मोदीपुरम के रहने वाले तनिश ने बताया कि भविष्य में इंजीनियर बनना है, जिसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. मेरठ जिले में छठी रैंक हासिल करने वाली आरजी इंटर कॉलेज की हाईस्कूल की छात्रा छवि ने कमाल कर दिखाया है. मवाना रोड स्थित अमहेड़ा निवासी छवि ने परीक्षा में 94.3 अंक हासिल कर परिवार का मान बढ़ाया है. पिता प्रवीण कुमार ड्राइवर हैं, जबकि माता दीपा कुमारी सिलाई कर घर की आर्थिक स्थिति में मदद करती हैं. परिजन कहते हैं कि बेटी ने हमारा नाम रोशन किया है. सनातन धर्म इंटर कॉलेज सदर का छात्र रोनित कुमार ने इंटर में जिले में सातवी रैंक हासिल की है. परीक्षा में 93.8 प्रतिशत आने पर वे बेहद खुश है. मलियाना निवासी रोनित बताते हैं कि पिता मुकेश कुमार का मसालों का व्यापार है. वाकई में ऐसे बच्चे ही देश का भविष्य हैं. ऐसे होनहारों पर सभी को नाज है.