- अबकी रक्षाबंधन पर भी इसका साया
रक्षाबंधन पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. रक्षाबंधन के दिन का बहने बेसब्री से इंतजार करती हैं. इस दिन वह अपनी भाई की कलाई में राखी बांधती है और उसके बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल रक्षाबंधन के पर्व पर पंचक और भद्रा काल का योग बन रहा है. इस कारण इस साल रक्षाबंधन दो दिनों तक मनाया जाएगा. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि भद्रा काल में क्यों राखी नहीं बांधनी चाहिए?
हिन्दू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री का नाम था और शनि की बहन भी थी. जिस तरह शनिदेव को कठोर माना जाता है. ठीक उसी तरह भद्रा भी अपने भाई शनि की तरह कठोर मानी जाती है. भद्रा के स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उन्हें काल गणना के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया था. इतना ही नहीं भद्रा की स्थिति में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है लेकिन भद्रा काल में तंत्र-मंत्र की पूजा , कोर्ट-कचहरी से जुड़ा काम और राजनीतिक कार्यों के लिए काफी अच्छा भी माना जाता है.
भद्रा काल में क्यों राखी नहीं बांधनी चाहिए ?
अयोध्या की ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि एक बार ब्रह्मा जी ने भद्रा को श्राप दिया था कि जो भी भद्रा काल में किसी भी तरह का शुभ कार्य करेगा उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगा. यही वजह है कि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. यही कारण है कि भद्रा काल में रक्षाबंधन नहीं बांधा जाता है.
जानें रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
सावन की पूर्णिमा के दिन यानी 30 अगस्त को पूरे दिन भद्रा का साया रहेगा ऐसी स्थिति में आप 30 अगस्त को रात 9:00 बजे के बाद से 31 अगस्त सुबह 7:00 बजे तक राखी बांध सकते हैं.