
जौनपुर धारा, जौनपुर। प्रेम मानने का विषय है मनवाने का नहीं, जब हमें यह अहसास हो जाता है तो हम हर प्रकार के बंधनों से मुक्त होकर भक्ति मार्ग पर अग्रसर हो पाते हैं। उक्त जानकरी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने नव वर्ष पर सतगुरु माता सुदीक्षा महराज के पावन संदेशो को देते हुए बताया कि अक्सर हम अपने व्यवहारिक जीवन के सीमित दायरे में संकीर्ण और भेदभाव पूर्ण व्यवहार को अपनाते है। इस प्रभाव से ऊपर उठकर तभी जीवन जीया जा सकता है। जब हम ब्रह्मज्ञान को आधार बनाकर सब में एक परमात्मा का रूप देखें। हमें अपनी सोच को विशाल करते हुए केवल प्रेम के भाव से ही जीवन को जीना है। प्रेम के भाव का ज़िक्र करते हुए अपने प्रवचनो में सतगुरु माता ने कहा कि जब हम इस विशाल परमात्मा से जुड़ जाते है तो फिर कोई बंधन शेष नहीं रहता। इस बेरंगे के रंग से जुड़ने पर भक्ति का ऐसा पक्का रंग हम पर चढ़ जाता है कि हमारी भक्ति ओर सुदृढ़ होती चली जाती है, किन्तु भ्रांति वश हम इस सत्य को भूलकर केवल अपनी ही विचारधारा से दूसरों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। इस अवसर पर निरंकारी राजपिता रमित ने साध संगत को सम्बोधित करते हुए कहा कि निरंकार पर हमारी आस्था और श्रद्धा हमारे निजी आध्यात्मिक अनुभव पर आधारित होनी चाहिए, न कि मात्र किसी अन्य के कहने से प्रेरित होकर सतगुरु द्वारा प्राप्त ब्रह्मज्ञान की दृष्टि से परमात्मा का अंग संग दर्शन करते हुए भक्ति करना ही उत्तम है।