- प्रयागराज से जौनपुर के सफर में ही हिचकोले खाती सिविल लाइन की बस
जौनपुर धारा,जौनपुर। सिविल लाइंस डिपो बस से सफर करने वालों के लिये बस सिरदर्द बनी हुई है। कौन सी बस कब अचानक खराब हो जाये कोई भरोसा नही। ऐसे में रोडवेज बसों की फिटनेस पर सवाल उठना लाजमी है। बता दें कि अभी गर्मी की शुरूआत ही हुई है लेकिन कुछ देर अगर कहीं बस खड़ी हो जाती है तो मानों शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी का एहसास होने लगता है। ऐसे में सिविल लाइन्स डिपो की खटारा बसें यात्रियों को परेशान कर रही हैं। जौनपुर रूट की स्थिति ज्यादा खराब है। बस खराब होने की दशा यह कि यात्रियों को प्रयागराज से जौनपुर का सफरा 4 से 5 घण्टे में तय कराती है। जबकि कुछ अन्य डिपो की बसें उससे 1 घण्टे बाद छुटकर लगभग 30 मीनट पहले ही स्टाप पर पहुँच जाती है। वहीं बसों के चालक और परिचालक भी मुफ्तखोरी के चक्कर में ढाबों पर गाड़ी लगाकर भरपेट भोजन करतें है। जिसमें ढाबा वालों का तो फायदा होता ही है, साथ ही चालक परिचालक को भी मुफ्त में खाने को मिल जाता है। दिक्कत की बात यह है कि बीच रास्ते में इस तरह से बसों को रोकना बिल्कुल भी सहीं नही है। वह भी उस स्थिति में जबकि जिस डिपो से बस छूटी हो वहाँ से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर ही ढाबा हो। मंगलवार को प्रयागराज सिविल लाइंस बस अड्डे से जौनपुर के लिए रोडवेज बस यूपी.70 ओटी.5337 रवाना हुई जो रोडवेज से महज 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर एक ढाबा पर आधे घण्टे के लिये खड़ा कर पेट भरने लगे। जिसके बाद यह पता चला कि यात्रियों को ढाबा वाले के यहाँ रोकने से ढाबा का इनकम बढ़ता है और चालक-परिचालक को मुफ्त में खाने को मिलता है। वहीं उक्त बस की हालत यह थी कि यात्री उससे अच्छा बैलगाड़ी से जाना पसंद करने को तैयार थे। क्योकिं इतना भाड़ा देने के बाद भी बस अगर चीटी की चाल चले तो क्या ही कहना है। बस की खराब दशा बता रही थी कि वह कितनी बिमार है। अब ऐसे में खटारा बसों पर सफर करना दर्द देने के समान ही हुआ। उस बस ने प्रयागराज से जौनपुर का सफर तय करने में 4 से 4.30 घण्टे लगा दिये। जबकि अन्य डिपो की बसें उसके बाद निकली और उससे पहले ही डिपो पर पहुँच गई।