पिछली बार भाजपा को एक निर्दलीय प्रत्याशी ने चखा दिया था हार का स्वाद…

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इटावा.  उत्तर प्रदेश में इन दिनों निकाय चुनाव की जोरदारी से जोर आजमाइश जारी है. हर दल की ओर से ऐसा दावा किया जा रहा है कि उनके ही उम्मीदवार की हर हाल में जीत हो रही है, लेकिन इटावा में निकाय चुनाव को लेकर पिछले सालों में कई दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं. ऐसा ही एक मामला सदर नगरपालिका परिषद का था, जब एक निर्दलीय प्रत्याशी ने राजनीतिक दलों की जीत हार का गणित बिगाड़ दिया था. शुरू में जो लोग इस निर्दलीय प्रत्याशी को हल्के में ले रहे थे, बाद में उन्हीं को खामियाजा भुगतना पड़ा.

इस बार चुनाव में खास बात यह है कि इस बार एक भी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं है. इटावा सदर नगर पालिका के चेयरमैन पद पर कुल 5 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है. यह प्रत्याशी समाजवादी पार्टी , भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हैं. एक भी निर्दलीय प्रत्याशी इटावा सदर विधानसभा नगर पालिका सीट से चुनाव मैदान में नहीं है. हालांकि अन्य निकायों में निर्दलीय प्रत्याशियों की भीड़ है लेकिन इटावा नगर पालिका में निर्दलीय प्रत्याशी एक भी नहीं है. निकाय चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि 5 साल पहले हुए चुनाव में इटावा सदर सीट पर एक निर्दलीय प्रत्याशी ने बड़े-बड़े राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ दिया था. उस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला शुरुआती दौर में माना जाता रहा था, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़ी हुई श्रीमती सनी शर्मा ने चेयरमैन पद के चुनाव में 17,000 से अधिक वोट हासिल करके सत्ताधारी भाजपा को करारा झटका दिया था. जिसके नतीजे में भाजपा प्रत्याशी विनीता गुप्ता चुनाव हार गई और समाजवादी पार्टी के नौशाबा फुरकान को विजय मिली थी. इससे 5 साल पहले हुए वर्ष 2012 के निकाय चुनाव में भी इटावा नगर पालिका से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कुलदीप उर्फ संटू गुप्ता ने बड़े अंतर से विजय हासिल की थी और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी तथा समाजवादी पार्टी समर्थित प्रत्याशी को पराजित किया था. इस बार समाजवादी पार्टी के विद्रोही गुलनाज को बहुजन समाज पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. पिछले निकाय चुनाव में निर्दल प्रत्याशी के रूप में 17,000 वोट हासिल करने वाली श्रीमती सनी शर्मा इन दिनों भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुकी है. दरअसल, उनके पति प्रदीप शर्मा हिंदू सेवा समिति नामक संगठन का संचालन करते हैं, उन्हें बड़ी उम्मीद थी इसी उम्मीद के चलते उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की कि उनके पुराने अतीत को देखते हुए उनकी पत्नी श्रीमती सनी शर्मा को चेयरमैन पद के चुनाव में भाजपा से उतारा जाएगा. लेकिन भारतीय जनता पार्टी के जिला संगठन में सनी शर्मा का नाम उस सूची में भेजना भी मुनासिब नहीं समझा. जब की सनी शर्मा ने टिकट की दावेदारी जिला संगठन स्तर पर की हुई थी. सनी शर्मा के पति प्रदीप शर्मा लगातार सोशल मीडिया पर अपनी पत्नी को मिले वोटों से जुड़े हुए संस्मरणों को पोस्ट करने में जुटे हुए हैं. हालांकि प्रदीप शर्मा भारतीय जनता पार्टी की अधिकृत उम्मीदवार कुसुम दुबे के पक्ष में चुनाव प्रचार करने में जुटे दिखाई दे रहे हैं.

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