जौनपुर धारा,जौनपुर। राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने निजी स्कूलों में री-एडमिशन व फीस वृद्घि को लेकर मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा। उन्होने शिकायत करते हुए कहा कि अप्रैल का महीना शुरू होने वाला है, स्कूल ने फिर फीस बढ़ा दी है। निजी स्कूलों की मनमानी बेलगाम हो रही है। हर साल स्कूल फीस में 5 से 8 फीसदी बढ़ोतरी कर रहे हैं। अप्रैल में नया सत्र शुरू होने वाला है, स्कूलों ने नया फीस स्लैब जारी कर दिया है। फीस में बढ़ोतरी देख अभिभावकों का विरोध भी शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश के बड़े स्कूओं की फीस में सालाना 5 से 10हजार रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में अभिभावक अब फीस भरने की जुगाड़ में जुट गए हैं। वहीं, दूसरी ओर सीमित आय और पढ़ाई का खर्चा बढ़ने से घर का बजट बिगड़ रहा है। पूरे उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में प्राइवेट स्कूल संचालित हैं। वहीं शिक्षा विभाग के अनुसार कुछ स्कूल रजिस्टर्ड हैं, बाकी स्कूल बगैर रजिस्ट्रेशन ही चलाए जा रहे हैं। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों की मनमानी करने के बाद भी मूकदर्शक है। इसका फायदा प्राइवेट स्कूल वाले खूब ले रहे हैं। कई निजी विद्यालयों द्वारा री-एडमिशन के नाम पर आरी भरकम शुल्क लिया जा रहा है, जो कि पूरी तरह से अवैध है। उन्होने कहा कि अधिकांश वाहनों में सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है, स्कूल संचालकों ने अपनी सुविधा के अनुसार बुक स्टॉल सेट करके रखे हैं, उन्हीं की दुकानों पर उनके स्कूओं का कोर्स उपलब्ध है। इस तरह कोर्स और यूनिफार्म जिले भर में गिनी-चुनी दुकानों पर ही बेची जा रही है। अभिभावकों ने बताया कि किताबें खास दुकान से खरीदने का दबाव है। बाकी दुकानों पर अभिभावकों को सारी किताई नहीं मिलती हैं। उन्होने विभिन्न मांगों को लेकर प्रशासन को मनमानी रोकने के लिए ज्ञापन सौंपा है।