जौनपुर धारा,खुटहन। अशोकपुर गांव में आयोजित श्रीमद्भभागवत कथा ज्ञान यज्ञ में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथा वाचक पुष्कर जी महराज ने कहा कि गृहस्थ आश्रम में रहकर जो धर्मपरायण और सदाचारी होते हैं उन्हें सद्गुणों से युक्त सेवाभावी और आज्ञाकारी संतान की प्राप्ति होती है। इसका उल्टा यदि माता पिता अधर्मी और दुराचारी हैं तो उनकी संतानें वैसे ही राक्षसी प्रवृत्ति की पैदा होती हैं। जो पूरे कुल का सर्वनाश कर देती है। उन्होने भगवान गणेश और श्रीराम के प्राकट्य का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने राक्षस योनि में जन्म लेने वाले कई असुरों का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। आगे कहा कि यह मानव जीवन चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद बड़े पुण्य कर्म के प्रतिफल स्वरूप मिला है, इसे व्यर्थ न जाने दें। जीवन की असली सार्थकता उस परम परमात्मा को प्राप्त करना है। लेकिन मानव सांसारिक सुख काम,क्रोध, मद,मोह और लोभ में पड़कर जीवन के मूल को भुला दे रहा है। यही उसके कष्टों का कारण है। मानव गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए सत्य की राह चलकर ईश्वर का नियमित स्मरण करे तो इहलोक से मुक्ति आसानी से मिल जायेगी। अन्यथा फिर से चौरासी लाख योनियों में भटकना पड़ेगा मंगलवार को हवन पूजन व विशाल भंडारे के साथ सम्पन्न हुआ। जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर कैलाश सोनी, मन्तोरा सोनी, कमला प्रसाद सोनी, जितेन्द्र सोनी, अनील सोनी, सुनील सोनी, विपिन सोनी, पंकज सोनी, श्रवण सोनी, लवकुश सोनी, पवन सोनी, धीरज सोनी, सुमित सोनी, आदर्श सोनी, शिवम सोनी, शंकर सोनी, ओमप्रकश सोनी, वेला सोनी सहित आदि मौजूद रहें।
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धर्मपरायण माता पिता को ही सद्गुणी संतान की प्राप्ति

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