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धमाके से दहला सूरज, सतह पर हुआ 1 लाख हाइड्रोजन बम जैसा ब्लास्ट

सूरज हमारे विशाल सोलर सिस्टम में एकमात्र एनर्जी का सोर्स है. हाल ही में सूरज के सतह पर पिछले चार साल में सबसे बड़ा सोलर फ्लेयर उठते हुए देखा गया है. स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने कहा कि “एआर 2838” नामक सनस्पॉट से विस्फोट हुआ. अब तक के चार साल में एआर 2838 सबसे बड़ा सोलर फ्लेयर विस्फोट माना जा रहा है. इसे आधिकारिक तौर पर X1.5 के कैटेगरी में रखा गया है. इस नए सोलर साइकल के तौर पर देखा जा रहा है.
 
सूरज के उत्तर-पश्चिम में सनस्पॉट मौजूद था. अगले कुछ हफ्तों में सूरज से दूर जाने की भी संभावना किया जा रहा है. अगर कुछ समय तक ये सनस्पॉट अपनी जगह पर मौजूद रहा तो ये धरती से देखा भी जा सकता है. धरती पर सोलर फ्लेयर का प्रभाव अटलांटिक महासागर के ऊपर एक शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट से महसूस किया गया.

मशीनों को नुकसान पहुंचाता है

सोलर फ्लेयर्स मशीनों को नुकसान पहुंचाने और धरती पर करंट के फैलाव को रोकने के लिए जिम्मेदार है. रिपोर्टों से पता चलता है कि सोलर फ्लेयर्स के भड़कने से धरती के वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत का आयनीकरण हुआ, जिसके कारण पृथ्वी की सतह से 60-100 किलोमीटर के बीच करेंट बहने लगा. परिणामस्वरूप, पृथ्वी का ध्रुवीय चुंबकीय क्षेत्र बदल गया. 
 
सोलर फ्लेयर्स क्या हैं?

सोलर फ्लेयर्स की वजह से सूरज की सतह पर बहुत तेज गति के साथ विस्फोट होता है, जो भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा होने के बाद होता है. जैसे ही विस्फोट होता है, रेडिएशन ब्रह्मांड में छोड़ा जाता है, जो सीधे हमारे सौर मंडल के ग्रहों को प्रभावित करता है. इन रेडिएशन में रेडियो तरंगें, एक्स-रे और गामा रे शामिल होती हैं. नासा का दावा है कि इस विस्फोट से निकलने वाली ऊर्जा 100 मेगाटन के लाखों हाइड्रोजन बमों के एक साथ फटने के बराबर है. फिर भी, यह सूरज की कुल ऊर्जा का दसवां हिस्सा है.

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